अशोक कुमार जेतावत- 22 दिसंबर को आर्यिका 105 श्री सुशांत मति माताजी का समाधि मरण हुआ था । उनके गुणानुवाद के लिए श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई ।
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संहिता सूरी प्रतिष्ठाचार्य पंडित हंसमुख जैन के निर्देशन और प्रतिष्ठाचार्य पंडित भागचंद जैन के संचालन में श्री महावीर स्वामी दिगम्बर जैन मंदिर में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया ।
सभा में प्रमुख जैन संत और गणमान्य लोग रहे उपस्थित
सभा में वस्तुपाल जैन, सुनीता जैन, अशोक कुमार जेतावत, पंडित गजेन्द्र कुमार पटवा, उप जिला प्रमुख सागर मल जैन, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रतिष्ठाचार्य पंडित हंसमुख जैन और क्षुल्लक 105 श्री अनुश्रमण सागर जी महाराज ने श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए
आर्यिका 105 श्री सुशांत मति माताजी का जीवन परिचय कराया और उनके गुणों का गुणानुवाद करते हुए मनुष्य जीवन की सार्थकता पर प्रकाश डाला । संतों ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में समाधि मरण का भाव रखने का संकल्प लेना चाहिए । यही आर्यिका माताजी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि और विनयांजलि होगी ।
जानिए, आर्यिका सुशान्तमति जीवन परिचय
पन्ना लाल पटवा की सुपुत्री कनकमाला देवी पारेल गांव में 1940 में जन्म हुआ और 1958 में सूरजमल जी गनोड़िया से धरियावद में विवाह हुआ । सात पुत्रियां और 2 पुत्रों गृहस्थ जीवन की विभिन्न परिस्थितियों से गुजरते हुए संघर्षमय जीवन रहा । समय काल से पति व पुत्र का वियोग सहन करना पड़ा ।
परिवार में श्वसुर छगन लाल जी गनोड़िया और ननद ब्रम्हचारिणी मंजूला बहन और गृह चैत्यालय होने से धार्मिक संस्कारों से वे सराबोर रही । शांत, सौम्यता की धनी श्रीमती कनकमाला जी ने अपने जीवन की आयु करीब मानकर दिगम्बर जैनाचार्य सुंदर सागर जी के चरणों में 20 दिसंबर को समर्पित कर दिया ।
23 दिसंबर को प्रात : डोल यात्रा निकाल कर जैन विधि संस्कार पूर्वक उनका खमेरा में अंतिम संस्कार कर दिया गया ।
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