श्री शीतलनाथ दिगंबर जैन मंदिर सेठ बिहारी लाल जी की धर्मशाला गुदड़ी मंसूर खां में गुदड़ी मंसूर खां जैन समाज के तत्वावधान में पयुर्षण महापर्व के दसवें एवं अंतिम दिन मंगलवार को उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म मनाया। इस मौके पर श्रीजी का अभिषेक-शांतिधारा की,पंडित रविंद्र जैन शास्त्री के निर्देशन में श्रावकों ने पंचपरमेष्ठी पूजन, दसलक्षण पूजन, उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की पूजन कर प्रभु का गुणगान किया। पढ़िए शुभम जैन की रिपोर्ट…
आगरा। श्री शीतलनाथ दिगंबर जैन मंदिर सेठ बिहारी लाल जी की धर्मशाला गुदड़ी मंसूर खां में गुदड़ी मंसूर खां जैन समाज के तत्वावधान में पयुर्षण महापर्व के दसवें एवं अंतिम दिन मंगलवार को उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म मनाया। इस मौके पर श्रीजी का अभिषेक-शांतिधारा की,पंडित रविंद्र जैन शास्त्री के निर्देशन में श्रावकों ने पंचपरमेष्ठी पूजन, दसलक्षण पूजन, उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की पूजन कर प्रभु का गुणगान किया। इसके बाद भक्तों ने वासुपूज्य भगवान का निर्वाण कांड का वाचनकर 12 किलो का निर्वाण लाडू समर्पित किया। पंडित रविंद्र जैन शास्त्री ने उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म के बारे में बताते हुए कहा कि मन वचन-काय से पांचों इन्द्रियों के विषयों का त्याग कर देना ब्रह्मचर्य है। ब्रह्मा आत्मा में रमण करने का नाम ब्रह्मचर्य है। ब्रह्मचर्य की उत्कृष्ट साधना का सुअवसर मात्र मनुष्य के पास है, क्योंकि उसके पास बुद्धि है, विवेक है, सोचने की क्षमता है, वह जानता है कि वासना दु:ख का कारण है।
ब्रह्मचर्य व्रत की चर्चा करना जितना सरल है उसे धारण करना उतना ही कठिन है।निश्चय से आत्मा में रमण करना ही ब्रह्मचर्य धर्म है। इस अवसर पर वीरेंद्र जैन,नरेश जैन, राकेश जैन पार्षद,सुभाष जैन,धर्मेंद्र जैन,देवेंद्र जैन,अशोक जैन,सुमन जैन सुशील जैन,अल्पना जैन सुनीता जैन समस्त गुदड़ी मंसूर खां जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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