ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान जैनुल अबेदीन ने भारत के प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अजमेर को राष्ट्रीय स्तर पर जैन तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग की है। अजमेर शहर भारत की धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और यह प्रस्ताव इसके समृद्ध आध्यात्मिक विरासत को और अधिक सम्मानित करने की दिशा में एक अहम कदम है। पढ़िए रेखा संजय जैन की यह विशेष रिपोर्ट…
अजमेर। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान जैनुल अबेदीन ने भारत के प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अजमेर को राष्ट्रीय स्तर पर जैन तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग की है। अजमेर शहर भारत की धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और यह प्रस्ताव इसके समृद्ध आध्यात्मिक विरासत को और अधिक सम्मानित करने की दिशा में एक अहम कदम है। भारत अनेक धर्मों और आध्यात्मिक परंपराओं का संगम है, जो इसे सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता का प्रतीक बनाता है। यह पवित्र भूमि कई संतों, ऋषियों और महान विभूतियों का तपोस्थल रही है, जिन्होंने मानवता की सेवा में अनमोल योगदान दिया है। इसी संदर्भ में अजमेर शहर का विशेष महत्व है, जहाँ एक ओर ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह दुनिया भर के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, तो दूसरी ओर ब्रह्मा जी का मंदिर इसकी धार्मिक प्रतिष्ठा को और बढ़ाता है।
यहीं मिली थी दीक्षा
6 फरवरी को देशभर में समस्त जैन समाज द्वारा आचार्य 108 विद्यासागर जी महाराज की पुण्यतिथि मनाई जा रही है। आचार्य श्री अपनी कठोर तपस्या, त्याग और मानव सेवा के लिए प्रसिद्ध हैं, और उनके विचार सदैव सम्पूर्ण मानव समाज के लिए मार्गदर्शन करते रहेंगे। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का अजमेर से विशेष संबंध रहा है। यहीं से उन्होंने अपने आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत की थी और यहीं पर उन्हें दीक्षा मिली। इसलिए अजमेर, केवल जैन समाज के लिए ही नहीं, बल्कि आचार्य श्री की जन्मस्थली के रूप में भी एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र है। इसलिए, दीवान साहब ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि अजमेर को जैन धर्म का राष्ट्रीय तीर्थ स्थल घोषित किया जाए। इस फैसले से न केवल आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रति सच्चा सम्मान होगा, बल्कि भारत की समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को और अधिक प्रतिष्ठा मिलेगी। अजमेर को जैन धर्म का राष्ट्रीय तीर्थ स्थल का दर्जा देने से न केवल जैन समाज, बल्कि सभी धर्मों और समुदायों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव और धार्मिक सौहार्द को भी प्रोत्साहन मिलेगा। यह निर्णय देश में एकता और शांति की भावना को और मजबूत करेगा।
Add Comment