वसंत पंचमी पर प्रकृति के खिल-खिलाने का अवसर है। इस दिन वाग्देवी सरस्वती के प्रकटीकरण का दिन भी है। वे ज्ञान और बुद्धि की देवी है। इस दिन को विशेष माना गया है। इस बारे में वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ. हुकुमचंद जैन ने बताया इस दिन से सर्दी का प्रकोप समाप्त हो जाता है। चारों तरफ खेतों में लहलहाती हुई गेहूं की फसल, सरसों के खेतों में चारों तरफ पीले खिले हुए फूल का मनमोहक दृश्य दिखाई देता है। पढ़िए मुरैना से मनोज जैन नायक की खबर…
मुरैना। प्रत्येक माह में दो बार पंचमी तिथि आती है। माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बच्चे, युवा, वृद्ध सभी ने सुना है क्योंकि, हर किसी के जीवन में कहावत के रूम में भी जुड़ा हुआ शब्द ‘कितने वसंत देख लिए अब तक’ है। वसंत नाम से मन में प्रफुल्ता, उमंग, ज्ञान की धारा अविरल बहने लगती है क्योंकि, यह तिथि ऋतुराज वसंत के आगमन की सूचना देती है। वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ. हुकुमचंद जैन ने बताया इस दिन से सर्दी का प्रकोप समाप्त हो जाता है। चारों तरफ खेतों में लहलहाती हुई गेहूं की फसल, सरसों के खेतों में चारों तरफ पीले खिले हुए फूल का मनमोहक दृश्य दिखाई देता है। इस दिन हर घरों में केशरिया चावल बनाए जाते हैं और प्रातः स्नान के पश्चात पीले परिधान पहनना चाहिए। फिर मां सरस्वती का पूजन करना चाहिए।
…तो सभी जीवांे को बोलने की शक्ति मिली
कहते है कि प्रजापति ब्रह्मा जी ने विष्णु जी की आज्ञा से सृष्टि की रचना कर दी। पृथ्वी पर आकर देखा तो सन्नाटा किसी के मुंह से शब्द नहीं निकले थे। तब इस उदासी को देखकर ब्रह्मजी ने अपने कमंडल से जल को छिड़का जल कणों से वृक्षों पर एक शक्ति हाथों में वीणा लिए, पुस्तक लिए माला पहने प्रकट हुईं। तब ब्रह्म जी ने उस देवी से वीणा बजाकर उदासी दूर करने कहा। तो सभी जीवांे को बोलने की शक्ति मिली। उस देवी का नाम सरस्वती पड़ा। यह देवी विद्या, वृद्धि, ज्ञान, संगीत, कला, विज्ञान, शिल्प कला की देवी है। जैन ने कहा कि यह दिन सभी शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसलिए यह दिन अबूझ मुहूर्त के नाम से प्रसिद्ध है।
अबूझ मुहूर्त पर होते हैं विवाह आदि
इस दिन सभी छात्र-छात्राओं को मां सरस्वती जी का स्नान, ध्यान करके पीले वस्त्र धारण कर विनम्र भाव से पूजन करना चाहिए और जिनको वाणी, वृद्धि, ज्ञान का विकास करना है, उन लोगों को भी। जैन ने बताया कि इस बार बसंत पंचमी को शास्त्र युक्त विवाह मुहूर्त नहीं है। परंपरागत इस दिन लोकाचार की दृष्टि से अबूझ मुहूर्त मानकर ज्यादातर लोग इस दिन विवाह के बंधन में बंध जाना पसंद करते हैं। ध्यान देने वाली बात है।
पूजन का यह है मुहुर्त
इस बार की पंचमी तिथि का क्षय भी है। 2 फरफरी को चतुर्थी का समापन सूर्याेदय के बाद सुबह 9.14 बजे हो रहा है। इसी समय से पंचमी प्रारंभ हो जाएगी जो 3 फरवरी को सूर्याेदय से पूर्व 6.52 बजे तक समाप्त हो जाएगी। इसलिए 2 फरवरी को बसंत पंचमी सरस्वती पूजन प्रातः 7.01 बजे से 12.31 बजे तक रहेगा। पूजन का कुल समय 5 घंटे 30 मिनट है।
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