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Life Management 2 मित्रता और यारी में अंतर को जानना जरूरी: जीवन में ऐसे मित्रों का चयन करें जो आपके सुख-दुःख में साथ दें


सूत्र वाक्य छोटे होते हैं लेकिन उनका निर्माण बडे़ अनुभवों के आधार पर होता है। महापुरुषों ने जो कुछ भी कहा, सूत्रात्मक ही कहा। सूत्र वाक्य ही सूक्तियां कहलाती हैं। चिन्तन से सूत्रों का अर्थ खुलता है। धर्म के अन्तिम संचालक, तीर्थ के प्रवर्तक, चौबीसवें तीर्थंकर भगवान् महावीर स्वामी हुए हैं। यद्यपि वह मुख्यतया आत्मज्ञ थे, अपने निजानन्द में लीन रहते थे, फिर भी वह सर्वज्ञ थे। मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की पुस्तक खोजो मत पाओ व अन्य ग्रंथों के माध्यम से श्रीफल जैन न्यूज Life Management कॉलम के दूसरे भाग में पढ़ें श्रीफल जैन न्यूज के रिपोर्टर संजय एम तराणेकर की विशेष रिपोर्ट….


दूसरा सूत्र

मित्र बनाओ, यार नहीं

मित्र आपको संबल देता है

सही अर्थों में, मित्र का आपके आस-पास होना ही आपको संबल देता है। उसका साथ ही बहुत सारी मुसीबतों को पार करने में सहायक होता है। इस कहानी का मूल संदेश यही है कि जीवन में ऐसे मित्रों का चयन करें जो आपके सुख-दुःख में साथ दें। यार एक तरह से ऐशो-आराम चाहते हैं और सिर्फ इसलिए आपका साथ चाहते हैं ताकि वे आपके ऐश्वर्य का लाभ उठा सकें। इसलिए, मित्र बनाइए, यार नहीं।

दोस्तों की मंडली

अशोक ने अपने जीवन में कई दोस्तों की मंडली बना ली थी। रोज़ शाम को वह उनके साथ घूमना, ड्रिंक करना और फिल्में देखना पसंद करता था। उसे लगता था कि इतने सारे मित्रों के साथ उसका जीवन सुरक्षित है। वह कभी भी अकेलापन महसूस नहीं करता था। उसके घर पर हमेशा किसी न किसी मित्र का आना-जाना बना रहता था

यारों की मुसीबत के समय परीक्षा

एक बार अशोक की पत्नी गर्भवती हुई और उसे डॉक्टर के पास ले गया। गर्भ की जांच के बाद डॉक्टर ने कहा, “जच्चा-बच्चा की जान खतरे में है। यदि ऑपरेशन तुरंत नहीं किया गया तो कुछ भी हो सकता है। कल सुबह 10 बजे ऑपरेशन थियेटर में पहुंचना है।” अशोक घबरा गया और ऑपरेशन के लिए तुरंत नगद पैसों का इंतजाम करने के लिए अपने मित्रों से बात की। वह अपने फ्लैट में पत्नी के साथ अकेला रहता था। मित्रों ने उसे साहस बंधाया, “तुम चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा।” पूरी रात वह पैसों के लिए दिमाग लगाता रहा, लेकिन फिर भी पूरे पैसे इकट्ठे नहीं हो पाए। उसने अपने मित्रों से सुबह 10 बजे अस्पताल पहुंचने के लिए कहा। सभी ने आश्वासन दिया कि वे वहां पहुंच जाएंगे।

अशोक पत्नी के साथ डॉक्टर के पास पहुंचा और डॉक्टर ने ऑपरेशन शुरू किया। डेढ़ घंटे तक, बाहर घबराए हुए अशोक ने अपने मित्रों को बार-बार कॉल किया। सभी ने अपनी-अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए माफी मांग ली। उस दिन अशोक को पहली बार महसूस हुआ कि उसने अपने जीवन में यार बनाए, मित्र नहीं बनाए।

ऐसे परखें मित्रता

– मित्र तब तक काम नहीं आता जब तक यार काम आता है। काम पड़ने पर यार बहाना बनाता है, और मित्र जान लगाकर मदद करता है।

– मित्र दो-चार साल में एक बनता है, जबकि यार एक साल में दो-चार बन जाते हैं।

– यार सिर्फ मौज-मस्ती के काम आते हैं, जबकि मित्र ग़म का बोझ उठाने के लिए होते हैं।

– यारों की दुनिया दिखाई देती है, लेकिन मित्र की दुहाई हमेशा होती है।

– एक मित्र कई जीवनों के लिए पर्याप्त होता है, लेकिन कई यार एक जीवन के लिए अपर्याप्त होते हैं।

– मित्र इतना भारी होते हैं कि जीवन का बोझ हल्का लगता है, जबकि यार इतने हल्के होते हैं कि जीवन कभी बोझ महसूस होता है।

– मित्र कभी शर्तों पर नहीं बनते, लेकिन यार बिना शर्त के नहीं बनते।

– मित्रों से जीवन में सम्मान मिलता है, जबकि यारों से जीवन बदनाम हो सकता है।

– मित्र आपकी बुराइयों को जानते हुए भी नहीं कहते, जबकि यार आपके बारे में कुछ न जानकर भी सब कुछ कह देते हैं।

– मित्र पानी में नाव के समान होते हैं, जो कभी डूबने नहीं देते।

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