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के लिए ही स्वाध्याय : पं. राजकुमार शास्त्री चतुर्थ जैनत्व बाल संस्कार एवं युगल शिविर का चौथा दिवस


महावीर जिनालय में चल रहे चतुर्थ जैनत्व बाल संस्कार एवं युगल शिविर के चौथे दिवस पर श्रोता व वक्ता कैसा होना चाहिए आदि बातें सिखाई गई।पढ़िए रत्नेश जैन रागी की रिपोर्ट


घुवारा। नगर के महावीर जिनालय में चल रहे चतुर्थ जैनत्व बाल संस्कार एवं युगल शिविर के चौथे दिवस उदयपुर से पधारे जैनदर्शनाचार्य पं. राजकुमार शास्त्री ने बताया कि श्रोता कैसा होना चाहिए, वक्ता कैसा होना चाहिए, स्वाध्याय आत्महित के लिए करना चाहिए न कि लौकिक लाभ के लिए। इसी के साथ शिविर संयोजक नीलेश शास्त्री ने बताया कि शिविर में युगल कक्षा के अलावा अन्य चार कक्षाएं और चल रही हैं जिसमें लगभग 200 शिविरार्थी जीवन जीने की कला सीख रहे हैं।

रात्रि कालीन बेला में जिनेन्द्र भक्ति के पश्चात सामूहिक कक्षा एवं विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है जिसमें प्रथम एवं द्वितीय दिवस पं. संजय जी सिद्धार्थी इंदौर के द्वारा बहुत ही रोचक तरीके से कौन बनेगा मन: पर्यय ज्ञानी एवं जैन गिनती का मंचन कराया गया। तीसरे दिवस सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रंखला में इंद्र सभा के आयोजन ने समस्त शिवरार्थियों का मन मोह लिया।

प्रति दिवस अनेक साधर्मियों के द्वारा बच्चों के लिए स्वादिष्ट नाश्ता दिया जा रहा है। शिविर मुख्य रूप से आलोक जैन दाऊ, अरविंद जैन शिक्षक, उत्तम चंद जैन, निर्मल जैन, मुन्नी लाल सिमरिया, अमन जैन, राजाराम जैन, आकांक्षा जैन शिक्षिका, सरोज जैन, पियूष जी शास्त्री, हर्षित जी शास्त्री, श्रेया जी शास्त्री, मानसी जी शास्त्री, दीपिका जी शास्त्री एवं अनेक साधर्मियों का प्रत्यक्ष परोक्ष रूप से सहयोग प्राप्त हो रहा है। समस्त कार्यक्रम महावीर जिनालय घुवारा के अयोजकत्व में सम्पन्न किया जा रहा है।

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