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छाणी मे निर्मित हो रहा है भगवान महावीर का भव्य समवशरण

मनीष गोधा

जयपुर| राजस्थान के उदयपुर जिले के खैरवाडा कस्बे से दस किलोमीटर दूर स्थित है छाणी गांव जो अब कुछ समय बाद ही एक विशिष्ट कारण से जाना जाएगा। यहां निर्मित हो रहा है भगवान महावीर का भव्य समवशरण। सफेद मार्बल से निर्मित हो रहा यह समवशरण पूरे उदयपुर क्षेत्र में अनूठा होगा और इतना बडा होगा कि इसकी पूरी परिक्रमा लगाई जा सकेग और सभी तरफ से इसके दर्शन किए जा सकेंगे।

 

दरअसल छाणी गांव ने जैन समाज को एक ऐसा उद्यमी दिया है जो उद्यमी तो है, लेकिन जिसमें सेवा भाव और धर्म के प्रति आस्था कूट-कूट कर भरी है। यह उद्यमी हैं श्री राजेश शाह जिन्होंने अपनी मातृभूमि छाणी गांव के दिगम्बर जैन मंदिर को यह भव्य समवशरण देने का बीडा उठाया है।


राजेश जी ने श्रीफल न्यूज से बातचीत में बताया कि यहां गांव में भगवान महावीर का अच्छा मंदिर है और उनके पिता स्वर्गीय श्री भोगीलाल जी शाह की अंतिम इच्छा थी कि यहां भगवान का महावीर का भव्य समवशरण बने। उनकी इच्छा को देखते हुए ही यहां इसका निर्माण कराया जा रहा है।

समवशरण के लिए यहां बडे हॉल का निर्माण कराया गया है और इस हॉल में भगवान महावीर का यह भव्य समवशरण तैयार होगा। उन्होंने बताया कि छह माह में इसका निर्माण पूर्ण हो जाएगा और फिर इसका भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव आयेाजित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि उनका प्रयास है कि भगवान महावीर का यह समवशरण इतना बडा और भव्य बने कि लोग इसके दर्शन कर स्वयं को धन्य मानें। यह पूरी तरह से सफेद मार्बल का बनेगा और इसकी धवल आभा धर्मप्रेमी बंधुओं को भगवान के समवशरण मंे बैठे होने का अनुभव कराएगी।

आपको बता दें कि राजेश शाह सफल उद्यमी हैं। वे काफी समय पहले कुवैत चले गए थे और वहां दस साल सफल व्यापार करने के बाद उन्हें खाडी संकट के चलते लौटना पडा था, लेकिन वे अकेले नहीं आए, बल्कि 150 ऐसे लोगों को साथ ले कर आए, जिन्हें काम की जरूरत थी। इसके बाद यहां आ कर व्यापार किए और आज सफल उद्यमी और व्यवसायी है। उनके दोनोें बेटे मुम्बई में सफल बिल्डर हैं और एमबीए डिग्री धारक बेटी उदयपुर में पीडिट्रिशयन डॉक्टर से ब्याही हैं।

राजेश जी अब व्यापार से ज्यादा सेवा कार्य और धर्म से जुडे हुए हैं। वे श्रवणबेलगोला में हुए महामस्तकाभिषेक में काफी सक्रियता से जुडे हुए थे और अब 21 नवम्बर से अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी में 24 वर्ष बाद होने जा रहे महामस्तकाभिषेक में ईशान इंद्र बने हैं। उन्हें पंचकल्याण प्रतिष्ठा महोत्सव का समन्वयक भी बनाया गया है और जनमंगल कलश के आवंटन से भी वे जुडे हुए थे।

श्री राजेश शाह विभिन्न संस्थाओ से जुडे हुए हैं और इसके साथ ही अपनी जन्मभूमि को भी एक अनुपम धरोहर देने जा रहे हैं।

 ( राजेश जी शाह के व्यक्तित्व और कृतित्व को जाने)

अपनी जन्मभूमि से जुड़े रहने और आभार मानने के लिए गांववासियों के लिए कर रहे काम

अहमदाबाद । कहते है पंछी भोजन की तलाश खत्म कर कही से भी अपने घर ही लौटते है, और वह घर उन्हें पूरे मन से स्वीकार कर उनका स्वागत करता है। ऐसे ही राजस्थान के छानी गांव में 31 अगस्त 1957 में जन्मे राजेश शाह है जो अपने देश मुश्किल दौर का सामना करके तो लौटे पर अपनी रूट्स से जुड़े रहे और अपने साथ 150 लोगों को साथ लेकर आए। राजेश शाह बताते है मैं 1982 में  व्यवसाय के लिए कुवैत गया जहां पर मैंने दस साल व्यवसाय किया। 1990-91 में  खाड़ी संकट के दौरान वापस भारत लौट कर आना पड़ा।  और आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें  

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