दिगंबर जैन जगत का सबसे बड़ा आयोजन श्रवणबेलगोला में गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली का महामस्तकाभिषेक में 1993, 2006, 2018 में त्यागी व्यवस्था संभालने वाले गेवराई के आवक श्रेष्ठी श्रीपाल गंगवाल उम्र के आठवें दशक में अपना जीवन क्षुल्लक ऐश्वर्यसागर महाराज (संघस्थ पूज्य मुनिश्री पुण्यसागरजी महाराज) के रूप में धर्म ध्यान में लगा रहे हैं। पढ़िए राजेन्द्र जैन ‘महावीर’ की रिपोर्ट…
सोनागिर। दिगंबर जैन जगत का सबसे बड़ा आयोजन श्रवणबेलगोला में गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली का महामस्तकाभिषेक में 1993, 2006, 2018 में त्यागी व्यवस्था संभालने वाले गेवराई के आवक श्रेष्ठी श्रीपाल गंगवाल उम्र के आठवें दशक में अपना जीवन क्षुल्लक ऐश्वर्यसागर महाराज (संघस्थ पूज्य मुनिश्री पुण्यसागरजी महाराज) के रूप में धर्म ध्यान में लगा रहे हैं।
सोनागिर में प्रवासरत क्षुल्लक श्री ऐश्वर्यसागर महाराज ने राजेन्द्र जैन महावीर सनावद के साथ चर्चा में कहा कि हमें इस शरीर के साथ कर्म मिले है पुराने कर्मों को हम बदल नहीं सकते है जो कर्म बांध है उनका भुगतान करना ही है। जो अभी करेंगे उनसे जो नवीन कर्म बचेंगे। उनका फल आगे मिलेगा पूर्व कर्म के अनुसार सुख, दुख, यश-कीर्ति हमें मिलती रहती है। आज जीवन में हम पुरुषार्थ करें अच्छा सोचे, सकारात्मक सोच रखें तो जीवन समुन्नत होता रहेगा।
उल्लेखनीय है कि विगत तीन महामस्तकाभिषेक समारोह में त्यागी व्यवस्था को संभालने वाले श्रीपाल गंगवाल ने सैकड़ों मुनिराजों को आहार-विहार-निहार व्यवस्था को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संपूर्ण देश के समस्त आचार्य मुनिराज त्यागी वृंद श्री पाल गंगवाल जी का नाम जानते है व उनकी अभूतपूर्व वैयावृत्ति की सराहना करते हैं। परम पूज्य कर्मयागी जगदगुरु स्वस्तिश्री चारुकीर्तिजी भट्टारक महास्वामी श्रवणबेलगोला उन्हें हमेशा त्यागी सेवा के लिए आगे करते रहे। अपने सांसारिक जीवन का उचित निर्वहन करने व सामाजिक धार्मिक कार्यों में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले श्रावक श्रेष्ठी श्रीपालजी गंगवाल ने विगत वर्ष मोक्ष सप्तमी को क्षुल्लक दीक्षा पूज्य मुनिश्री पुण्यसागरजी महाराज से ग्रहण किये और उत्कृष्ट रूप से अपने जीवन को त्यागवृत्ति के साथ जी रहे है। वर्ष 2023 का चातुर्मास सोनागिर मध्यप्रदेश में संपन्न करेंगे।
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