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उत्तम त्याग धर्म पर दिए प्रवचन : दान का मतलब ही अनासक्त जीवन जीना- आचार्य पुलक सागर


पर्युषण पर्व के उपलक्ष में चल रहे शिविर में दिगंबर जैन दशा नरसिंह पूरा समाज के भट्टारक यश कीर्ति गुरुकुल सभागार में 8वें दिन राजकीय अतिथि गुरुदेव आचार्य पुलक सागर जी के सानिध्य में उत्तम त्याग धर्म मनाया गया। गुरुकुल ट्रस्ट के ट्रस्टी एवं पूर्व उप जिला प्रमुख सुंदर लाल जी भानावत ने बताया कि गुरुकुल प्रांगण में दस दिवसीय पाप नाशनम शिविर बड़े ही धूमधाम से चल रहा है। पढ़िए सचिन जैन की विशेष रिपोर्ट…


ऋषभदेव। पर्युषण पर्व के उपलक्ष में चल रहे शिविर में दिगंबर जैन दशा नरसिंह पूरा समाज के भट्टारक यश कीर्ति गुरुकुल सभागार में 8वें दिन राजकीय अतिथि गुरुदेव आचार्य पुलक सागर जी के सानिध्य में उत्तम त्याग धर्म मनाया गया। गुरुकुल ट्रस्ट के ट्रस्टी एवं पूर्व उप जिला प्रमुख सुंदर लाल जी भानावत ने बताया कि गुरुकुल प्रांगण में दस दिवसीय पाप नाशनम शिविर बड़े ही धूमधाम से चल रहा है। इस दौरान गुरुदेव ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि आज उत्तम त्याग धर्म का दिन है। अर्जन के साथ साथ विसर्जन भी जरूरी है।

अर्जन हो और विसर्जन क्रिया नहीं हो तो पूजा का फल नहीं मिलता है। जीवन भी ऐसा ही है संग्रह करो एवं त्याग करो जोड़ो और छोड़ो। भगवान महावीर ने कहा कि जोड़ने के बाद छोड़ने की ताकत रखनी चाहिए। भगवान यदि पूज्य हैं तो सिर्फ अपने त्याग की वजह से ही हैं। दान का मतलब ही अनासक्त जीवन जीना है। सांयकालीन आरती के बाद दहेज एक अभिशाप नाटक का आयोजन किया गया। इसी क्रम में आदिनाथ एकता मंच द्वारा उत्तम त्याग धर्म मनाया। आदिनाथ दिगंबर जैन एकता मंच के उपाध्यक्ष पवन दलावत ने बताया कि आदिनाथ दिगंबर जैन एकता मंच द्वारा आज अतिशय क्षेत्र श्री दिगंबर जैन मंदिर पीपली में पंचामृत अभिषेक एवं शांतिधारा की गई।

पंडित पारस दोवडिया ने गर्भ गृह एवं बाहर वेदी पर सभी अनुष्ठान संपन्न हुई करवाए। इसके पश्चात दसलक्षण पर्व के उत्तम त्याग धर्म का गुणगान कर विभिन्न अर्घ्य चढ़ाए गए। इस अवसर पर आदिनाथ एकता मंच के संस्थापक नरेंद्रपाल जैन, अध्यक्ष नीलेश वाणावत, महामंत्री रिंकेश सुरावत, आशीष दोवडिया, वैभव वाणावत, नकुल सुंदरोत आदि सदस्य उपस्थित थे।

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