दिगंबर जैन समाज दशा हुमड़, वर्षायोग समिति, आचार्य शांति सागर उद्यान समिति द्वारा 30 से 31 जनवरी दो दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। 30 जनवरी को पारसनाथ जिनालय से श्रीजी, आचार्य श्री शांतिसागर जी की प्रतिमा और आचार्य वर्धमान सागर जी संघ सानिध्य में जैन समाज का जुलूस प्रारंभ हुआ। जिसमें महिलाओं ने कलश धारण किए। आचार्यश्री की प्रतिमा विराजित की गई। विभिन्न विधान हुए। पढ़िए पारसोला से राजेश पंचोलिया की यह खबर…
पारसोला। आचार्य श्री वर्धमान सागर जी 33 साधु सहित नगर में विराजित हैं। दशा हूमड दिगंबर जैन समाज के दो दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ गुरुवार को हुआ। आचार्यश्री ने अपने प्रवचन में कहा कि पारसोला में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के माध्यम से समवशरण जिनालय के श्री पार्श्वनाथ भगवान का पंचकल्याणक संघ सानिध्य में हुआ। समाज ने जिनालय में आचार्यश्री शांतिसागर जी महाराज की प्रतिमा विराजित कराई। समाज की परम भक्ति से विशुद्धता प्राप्त होती है क्योंकि, समाज के भक्तों ने हृदय में भी आचार्यश्री शांति सागर जी को विराजित किया है। आचार्य शांति सागर जी यहां भी आए थे। दो दिनों का प्रवास किया था। उन्होंने अपनी आगम अनुकूल चर्या से श्रमण परंपरा को जीवंत किया। आचार्य श्री के न केवल श्रावकों पर अपितु हम साधुओं पर भी बहुत उपकार हैं। उन्होंने जैन धर्म,जिनालयों की संस्कृति, जिनवाणी की संस्कृति, धर्म की संस्कृति का अपने मनोबल से संरक्षण किया।
प्राचीन जिनालयों तीर्थ का संरक्षण बहुत जरूरी है
आचार्य श्री ने जीवन में 18 करोड़ से अधिक मंत्रों का जाप किया। 9938 उपवास किए। अनेक उपसर्ग सहन किए। प्राचीन जिनालयों तीर्थ का संरक्षण बहुत जरूरी है क्योंकि, इनसे संस्कृति का ज्ञान होता है यह मंगल देशना पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने दो दिवसीय कार्यक्रम में धर्म सभा में प्रकट की। ब्रह्मचारी गज्जू भैया एवं राजेश पंचोलिया अनुसार आचार्य श्री ने देशना में बताया कि आचार्यश्री शांतिसागर जी आचार्य पद शताब्दी महोत्सव के तहत पारसोला में प्रथमाचार्य श्री शांति सागर उद्यान भवन से प्रेरणा लेकर निकटवर्ती गामड़ी गांव और अन्य नगरों में भी आचार्य शांति सागर संत भवन का लोकार्पण विगत दिनों हुआ है।
रात्रि पाठशाला जैन पाठशाला प्रारंभ हुई
आचार्यश्री शांति सागर जी के शिष्य आचार्य श्री कुंथू सागर जी महाराज की प्रेरणा से पारसोला में भी रात्रि पाठशाला जैन पाठशाला प्रारंभ हुई। जैन पाठशाला से संस्कार प्राप्त होते हैं। पाठशाला की शिक्षा संस्कार और संत समागम से व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन आता है। जिसके हम स्वयं उदाहरण है कि हमने भी गृहस्थ अवस्था में रात्रि पाठशाला के अध्ययन और संत समागम से जीवन में परिवर्तन कर वर्तमान में इस पद पर हैं।
श्री वर्धमान सागर जी संघ सानिध्य में जैन समाज का जुलूस निकला
जयंतीलाल कोठारी, ऋषभ पचौरी, संपत सेठ ने बताया कि दिगंबर जैन समाज दशा हुमड़, वर्षायोग समिति, आचार्य शांति सागर उद्यान समिति द्वारा 30 से 31 जनवरी दो दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। 30 जनवरी को पारसनाथ जिनालय से श्रीजी, आचार्य श्री शांतिसागर जी की प्रतिमा और आचार्य वर्धमान सागर जी संघ सानिध्य में जैन समाज का जुलूस प्रारंभ हुआ। जिसमें सैकड़ों महिलाओं ने कलश धारण किए। नगर के 40 से अधिक धार्मिक मंडल अपने निर्धारित वेशभूषा में जुलूस में शामिल हुए। जगह-जगह श्रद्धालुओं ने श्रीजी की मंगल आरती की। आचार्य श्री शांति सागर जी की प्रतिमा पर पुष्प वृष्टि की। आचार्य श्री वर्धमान सागर जी की आरती उतार कर पाद प्रक्षालन किया। जुलूस का समापन श्री शांति सागर उद्यान में हुआ।
जिनवाणी भेंट करने का सौभाग्य सुमतिलाल डागरिया को
आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के श्री शांति सागर सभागृह में विराजित होने के पूर्व ध्वजारोहण, मंडप उद्घाटन, आचार्य शांति सागर जी के चित्र का अनावरण,दीप प्रज्वलन तथा आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के चरण प्रक्षालन कर जिनवाणी भेंट करने का सौभाग्य सुमतिलाल डागरिया पारसोला प्रवासी उदयपुर को परिवार सहित प्राप्त हुआ। सुमतिलाल डागरिया परिवार ने आचार्य श्री शांतिसागर जी की छतरी निर्माण, प्रतिमा निर्माण स्वामी वात्सल्य भोजन तथा अन्य कार्यों में अपनी चंचला धनराशि का उपयोग किया। दोपहर को याग़ मंडल विधान की पूजन सौधर्म इंद्र सुमतिलाल डाग़रिया तथा अन्य इंद्र परिवार द्वारा प्रारंभ हुई। पूजन के पूर्व श्रीजी का पंचामृत अभिषेक एवं शांति धारा की गई। शाम को श्रीजी की आरती के बाद,शास्त्र प्रवचन एवं रात्रि में स्थानीय महिला मंडल द्वारा मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
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