चंदेरी यात्रा को लेकर कोटा के पत्रकार पारस जैन पार्श्वमणि ने अपने अनुभव साझा किए हैं। मुनिश्री महासागर जी महाराज ने तीर्थ सुरक्षा के लिए जो रास्ता बताया वह सबसे ज्यादा प्रभावशाली है। उनके दिए सुझाव से सभी तीर्थ का संरक्षण हो सकता है। कोटा से पढ़िए यह खबर…
कोटा। मेरी चंदेरी यात्रा अविस्मरणीय यादगार रही। मुनिश्री महासागर जी महाराज ने तीर्थ सुरक्षा के लिए जो रास्ता बताया वह सबसे ज्यादा प्रभावशाली है। यदि संपूर्ण भारतवर्ष की जैन समाज प्रतिदिन तीर्थ रक्षा सुरक्षा के लिए एक रुपए की राशि निकाले तो वास्तव में ही यह बहुत बड़ी राशि एक साल में एकत्रित हो जाएगी। सारे तीर्थ सुरक्षित हो सकते हैं। सबसे पहले सभी तीर्थ स्थलों पर चारों और बाउंड्रीवाल होना चाहिए। सबसे बढ़िया मुझे भियादात की यात्रा में आंनद आया। वो गांव की संस्कृति वो लोग वो पगडंडियां वो रास्ता भूल जाना पुनः लौटना आदि। विधाता आदिनाथ बाबा के दरबार में पहुंचना दूर-सुदूर से बाबा कि मनोहारी मूर्ति का नजर आना। बहुत याद आएगा। भाई निप्पु ने जो प्रोग्राम के लिए अथक मेहनत की काबिले तारीफ है। बाबा के दिव्य दर्शन कर मन में दिव्य शांति अनुभव हुआ। वास्तव में ऐसे प्राचीन क्षेत्रों की ऐतिहासिकता, पुरातत्वता, भव्यता प्रमाणिकता जो की त्यो बनी रहनी चाहिए। ऐसे तीर्थ स्थल पर अधिक से अधिक श्रद्धालुओ को जाना चाहिए और अधिक से अधिक दान राशि देकर तीर्थ के विकास में गति प्रदान करना चाहिए।
आयोजन कर्ताओं का माना आभार
प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण वंदना यात्रा मेरे जीवन की पहली यादगार यात्रा बन गई। भोजन में जो टिक्कड बने वे बहुत जोरदार लगे।कई लोगों ने पहली बार खाए। मैंने भी पहली बार ही देखे। अतिशय क्षेत्र थोबन जी में बड़े बाबा की यात्रा भी यादगार रही। थोबन जी कमेटी की ओर से से सभी पत्रकारों का जो भाव भीना अभिनंदन किया गया, वो देखते हो बनता था। मैं पारस जैन “पार्श्वमणि” अभी आयोजनकर्ताओं, तीर्थ कमेटी और अभा जैन पत्र संपादक संघ के पदाधिकारियों का आभार व्यक्त करता हूं। साथ ही बहुत-बहुत अनुमोदना करता हूं । आप सब ऐसे ही आयोजन समय समय पर करते रहे।
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