सबसे प्राचीन सनातम धर्म, जैन धर्म है। आगरा सकल जैन समाज की ओर से प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का जन्मकल्याणक धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीकसागर जी महाराज ने जैन धर्म के इतिहास की जानकारी दी। पढि़ए मनोज जैन बाकलीवाल की पूरी रिपोर्ट…
आगरा। 24 मार्च को अपने इतिहास को छोटा न करें। तीर्थंकर भगवान महावीर को तो हुए मात्र लगभग 2500 वर्ष हुए हैं, परन्तु प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव को हुए करोडों वर्ष हो चुके हैं। परन्तु जैन समाज की एक चूक से कि वह अन्तिम तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्मकल्याणक महोत्सव को तो बहुत धूमधाम से पूरे भारत में मनाता है, परन्तु प्राचीन सनातन प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के जन्मकल्याणक को भूल जाता है। इस कारण हर जगह जैन धर्म की पहचान मात्र 2500 वर्ष पुरानी समझी जाती है। इस सोच को बदलने की जरूरत है। प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का जन्मकल्याणक महोत्सव भगवान महावीर जन्म कल्याणक से भी बड़े आयोजन के रूप में मनाए। आगरा सकल जैन समाज यह प्रवचन क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीकसागर जी महाराज ने कमलानगर के श्री महावीर दिगम्बर जैन मन्दिर में आयोजित धर्म सभा में उस समय किए, जब नोर्थ ईदगाह कॉलोनी जैन समाज ने आगामी 3 अप्रैल को पड़ रही भगवान ऋषभदेव जन्मकल्याणक महोत्सव के नॉर्थ ईदगाह में हो रहे आयोजन मे सानिध्यता प्रदान करने हेतु श्रीफल अर्पण करने आएं। उन्होंने कहा कि पूजन अनुष्ठान मन्दिरों के अन्दर होते हैं, परन्तु प्रभावना बाहर सडक़ पर निकल कर विशाल जुलूस से होती है। जब भी ऐसा अवसर आए हर घर का बच्चा-बच्चा जुलूस में चलना चाहिए।
धर्मसभा का दीप प्रज्वलन जगदीश प्रसाद जैन सम्पादक एवं संचालन मनोज जैन बांकलीवाल ने किया। विधान संयोजक मनोज जैन बाकलीवाल ने बताया कि कल 25 मार्च को अष्टहानिका महापर्व के समापन पर कमलानगर मन्दिर जी से प्रात: 7.45 भगवान की विशाल शोभा यात्रा बैन्ड बाजा, बग्गी, रथ के साथ निकल सी-ब्लॉक होते हुए, श्रीराम चौक से पानी की टंकी, टंकी रोड होते हुए वापस डी ब्लॉक मन्दिर पहुंचेगी, जहां कलशाभिषेक के बाद सन्त निलय सभागार में जाकर होली के रंग गुरुवर के संग का रंगारंग आयोजन होगा।इस अवसर पर नॉर्थ ईदगाह कोलोनी से श्रीफल अर्पण श्री अशोक जैन एलआइसी, श्री राजेश जैन सेठी, अभय जैन आदि पधारे।
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