राजस्थान के संत

राजस्थान के संत समाचार

राजस्थान के जैन संत 42 ब्रह्म धर्मसागर कवि के साथ संगीतज्ञ भी थे: नेमि और राजुल के गीतों की खूब है ख्याति 

राजस्थान के जैन संतों की परंपरा में ब्रह्म धर्मसागर जी का स्थान भी काफी महत्वपूर्ण है। इन्होंने अधिकांश गीत अपने गुरु की प्रशंसा में ही लिखे हैं। इनके गीतों में सौंदर्य का भी पुट है तो विरह की वेदना...

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राजस्थान के जैन संत 41 मुनिश्री राजचंद्र ने पद विहार कर अपनी वाणी से जनजागरण किया: चंपावती सील कल्याणक में नजर आती है इनके कृतित्व की झलक 

राजस्थान के जैैन संतों की समृ़द्ध श्रंखला के तहत कई संतों का संक्षिप्त परिचय प्राप्त होता है। इनमें मुनि राजचंद्र जी भी हैं। इन्होंने राजस्थान में पद विहार कर...

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राजस्थान के जैन संत 40 भट्टारक सकलभूषणजी ने अपने गुरु की रचनाओं में किया था सहयोग: जयपुर के आमेर शास्त्र भंडार में हैं रचनाएं संग्रहित 

राजस्थान के जैन संतों ने राजस्थान की धरती पर रहकर साहित्य को इतना समृद्ध कर दिया है कि उनकी रचनाएं आज भी बहुत प्रभावी लगती हैं। भट्टारक सकलभूषण ने संस्कृत...

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राजस्थान के जैन संत 39 संत श्री हर्ष कीर्ति की सभी कृतियां राजस्थानी में: ये कविवर बनारसीदास के रहे समकालीन 

राजस्थान के जैन संत व्यक्तित्व एवं कृतित्व के अंतर्गत राजस्थान के जैन संतों द्वारा लिखित हिन्दी साहित्य की खूब चर्चा होती है। इनकी रचनाएं आज भी उतनी ही...

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राजस्थान के जैन संत 38 ब्रह्म कपूरचंदजी ने पार्श्वनाथ रास को काव्य पद्य में रचित किया: पार्श्वनाथ रास की हस्तलिखित प्रति मालपुरा, जिला टोंक में मिली

राजस्थान के जैन संतों के बारे में इतना तो जानकर पता लगता ही है कि अधिकांश जैन संत 16 से 17वीं सदी के दौरान हुए और उन्होंने अपनी गुरु-शिष्य परंपरा को सदैव बनाए...

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