प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांति सागर जी गुरुदेव की अक्षुण्ण मूल बाल ब्रह्मचारी पट्ट परम्परा के चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री अजित सागर जी का...
धर्म
किसी भी कार्य को करने के पहले शुभ लग्न और मुहूर्त को देखा जाता है। इसके अंतर्गत वार, तिथि, माह, वर्ष लग्न, योग, नक्षत्र को देखा जाता है। इस क्रम में किसी भी...
पद्म पुराण के पर्व – पांच में मुनि के तिरस्कार के फल को बताने वाली कथा का वर्णन है। उस कथा का सारांश यहां आप सबको बता रहा हूं। विद्याधर राजा विद्युदृष्ट्र अपने...
मुनि महाराज के नाम के आगे 108 क्यों लगाते हैं संकलन – संदीप सेठी,गुवाहाटी इसके तीन कारण हैं… 1. दरअसल मनुष्य 108 प्रकार से पाप करता है। मुनि महाराज...