कथा सागर

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स्वाध्याय – 5 : अरिहंत परमेष्ठी के जन्म के 10 अतिशय

1. अतिशय सुन्दर शरीर, 2. अत्यन्त सुगंधित शरीर, 3. पसीना रहित शरीर, 4. मल-मूत्र रहित शरीर। 5. हित-मित-प्रिय वचन, 6. अतुल बल, 7. सफेद खून, 8. शरीर में 1008 लक्षण...

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स्वाध्याय – 4 : वास्तु शास्त्र

आदिकाल से ही हमारे पूर्वज वास्तु के अनुसार भवनों को निर्माण करते रहे हैं। हमारे देश में जितनी भी ऐतिहासिक इमारतें एवं भवन है उन सभी में वास्तु के सिद्धान्तों...

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स्वाध्याय – 3 : तीर्थंकर की माता के सोलह स्वप्न-प्रस्तुति -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर

तीर्थंकर के गर्भ में आने से पहले उनकी माता सोलह स्वप्न देखती उन स्वप्नों के नाम और उनका फल आप सब भी जानें। पहला स्वप्न– एक अति विशाल श्वेत हाथी दिखाई...

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स्वाध्याय – 2 : चंद्रगुप्त के सोलह स्वप्न- प्रस्तुति अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर

 डूबते हुए सूर्य का दर्शन– यह इस बात का संकेत है कि महावीर के मार्ग को प्रकाशित करने वाला आगम का ज्ञान उत्तरोत्तर अस्त होता हुआ समाप्त होगा। कल्पवृक्ष की...

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स्वाध्याय – 1 : ‘सूर्यास्त पश्चात भोजन विषाक्त कैसे हो जाता है?’ -अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

भारतीय और जैन संस्कृति में साधना, ध्यान, त्याग और संयम को महत्त्व दिया गया है। यह कहा जा सकता है कि इनके बिना भारतीय और जैन संस्कृति की पहचान ही नहीं हो सकती...

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