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आचार्य पदारोहण शताब्दी महोत्सव में होंगे कई कार्यक्रम : आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज का 152वां वर्ष वर्धन 27 जून को

प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती गुरुणाम गुरु आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज का 152वां वर्ष वर्धन “दिवस आषाढ़ कृष्णा छठ 6 दिनांक अनुसार 27 जून 2024 को है।...

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जैन तीर्थंकर प्रतिमा पद्मासन में होती है ध्यान अवस्था की मुद्रा में : जैन ऋषि-मुनियों की दिनचर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा है ध्यान योग

 एक समय था जब भारत भारतीयों की जीवन शैली का अभिन्न अंग हुआ करता था ध्यान योग परंतु समय बदला, परंपराएं बदलीं, जीवन शैली बदली और आधुनिकता की चकाचौंध में भारतीय...

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धार्मिक आयोजनों में बढ़ता बोतल बंद पानी का चलन : पानी छानकर पीने की जैन समाज की आदर्श परंपरा पर हो रहा कुठाराघात

जैन धर्म के अनुसार पानी छानने की जो भावना है वह जीव-दया की भावना है। जैन धर्म के अनुसार जल में त्रस जीव भी होते हैं। विज्ञान के अनुसार एक बूंद पानी में 36450...

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श्रुत पंचमी का आध्यात्मिक-धार्मिक महत्व : जिनवाणी माता पहली बार शास्त्र के रूप में हुईं अंकित

देव शास्त्र और गुरु हमारे आराध्य हैं। ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी जैन धर्म की पवित्र तिथि है। जिस दिन जिनवाणी माता पहली बार शास्त्र के रूप में अंकित हुईं, इसी कारण से...

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तीर्थंकर भगवान महावीर जन्मकल्याणक पर विशेष निवेदन आलेख : 101 वर्ष से जारी है अहिंसा यज्ञ, हमारी धरोहर-हमारी पहचान

मारोठ में बकरशाला में आज भी बलि के बकरे सुरक्षित रखे जाते है क्यों ? 101 वर्ष पहले मारोठ में एक सेठ हुए श्री बीजराज पाण्ड्या जो एक उत्कृष्ट श्रावक के रुप में...

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