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पर्युषण पर्वः आत्मचिंतन, आत्मशोधन का पर्व – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

पर्युषण पर्व जैन समाज में सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। इसका शाब्दिक अर्थ है- परि+उषण, परि यानी चारों तरफ से और उष्ण का मतलब बुरे कर्मों/विचारों का नाश करना...

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श्रुतपंचमी पर्व – आर्यिका श्री प्रशांतमति माता जी

श्रुतपंचमी पर्व शास्त्र-जिनवाणी का पर्व है। वर्ष में शास्त्र का यह एक मात्र पर्व आता है। आज के दिन सैकड़ों वर्ष पूर्व जिनवाणी का लेखन कार्य समाप्त हुआ था। इस...

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श्रुत पंचमी- उद्भव एवं महत्व” -ब्र. डॉ सविता जैन

अनादिनिधन जैन धर्म में भगवान आदिनाथ से लेकर भगवान महावीर पर्यंत श्रुत परंपरा श्रोत्र रूप में निर्बाध रूप से सतत प्रवाह मान होती रही है। भगवान महावीर के निर्वाण...

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जल, जंगल, जमीन हमारी अमूल्य धरोहर, इनको बचाना हमारा दायित्व

बकस्वाहा का जंगल बुंदेलखंड के फेफड़े हैं ललितपुर । वर्चुअल राष्ट्रीय बेबीनार में जस्टिस, समाजसेवी, पर्यावरणविद, आईएएस, पत्रकार, एडवोकेट और पर्यावरण प्रेमियों...

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भोजन में शुद्धता का जैनाचार – सीए आदीश कु जैन

आज कोरोना के चलते खान पान और शुद्धता की चर्चा जोरों पर है। अच्छे स्वास्थ और बीमारियों से बचने के लिए वनस्पति आधारित और शाकाहारी भोजन का महत्व सारा विश्व समझ...

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