ब्रह्मचारिणी साधना दीदी की 5 अक्टूबर को श्री महावीरजी में होगी आर्यिका दीक्षा
मखाने, फल, सूखे मेवे से दीक्षार्थी दीदी की गोद भरकर बहुमान
इंदौर। ‘हम सबका सौभाग्य है कि हमें मनुष्य जन्म मिला है। और इसमें भी हमें जैन कुल मिला, जैनधर्म का साथ मिला। जैनधर्म मिलना, अच्छे गुरु का मिलना बहुत ही कई जन्मों के पुण्य से यह अवसर मिलता है। बचपन से मुझे माता-पिता तथा दादी ने धार्मिक संस्कार दिए हैं। माता- पिता के संस्कारों से मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। बहुत अच्छे कर्मों से बहुत अच्छे गुरु मिलते हैं। दीक्षा के बाद ड्रेस एड्रेस और लंच बदल जाएंगे। आप लोगों से अनजाने में जो कुछ भी गलती हुई हो, उसके लिए मैं क्षमा चाहती हूं। और सबके प्रति क्षमा भाव धारण करती हूं।’ यह उद्बोधन धर्मसभा में दीक्षार्थी साधना दीदी ने प्रगट किए।
वात्सल्य वारिधि पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी की शिष्या 7 प्रतिमा धारी ब्रह्मचारिणी साधना दीदी की 5 अक्टूबर 2022 को अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी में आर्यिका दीक्षा होगी। समाज के निवेदन पर नेमिनगर जैन कालोनी, दिगम्बर जैन मंदिर, इंदौर में मखाने, फल, सूखे मेवे, श्रीफल से दीक्षार्थी दीदी की गोद भरकर बहुमान किया गया। गृहस्थ अवस्था के भाई अजय एवं राजेश पंचोलिया ने विशेष चर्चा में बताया कि साधना दीदी के पिताजी भी मुनि श्री चारित्र सागर जी, भतीजी आर्यिका श्री महायशमती जी हैं, आप दोनों की दीक्षा भी आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी द्वारा हुई है। जैन मंदिर में समाज अध्यक्ष सहित समाज ने वैराग्य के कार्यक्रम में शामिल होकर खुशी एवं गर्व महसूस कर दीक्षा की अनुमोदना की है।
प्रातः श्री आदिनाथ चैत्यालय स्कीम नम्बर 71 इंदौर, में दीक्षार्थी साधना दीदी परिजनों द्वारा श्री जी का पंचामृत अभिषेक, शांति धारा कर सप्त ऋषि मंडल विधान की विशेष पूजन की गई। शाम को नेमिनगर जैन कालोनी, इंदौर से साधना दीदी की हाथी पर शोभायात्रा बिनोरी निकाली गई।
भारी वर्षा की संभावना से सब चिंचित थे। इंद्र देवता ने जुलूस के पूर्व हल्की बूंदाबांदी से जैसे दीक्षार्थी के लिए मार्ग की शुद्धि की हो। श्री नेमिनाथ भगवान की आरती के बाद जैन मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में मंगलाचरण पश्चात आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी के चित्र समक्ष दीप प्रवज्जलन नमिष अध्यक्ष पोरवाड़ समाज इंदौर, सचिव श्रेष्ठी, डॉ धीरेंद्र कैलाश लुहाड़िया, भरत, दिलीप राजपाल, शान्तिकुमार रोकड़िया, महावीर कंठाली, महेश्वर समर कंठाली, प्रकाश बाल समुंद, डॉ प्रतीक एवं नेमि नगर मंदिर के पदाधिकारियों द्वारा किया गया।
मंच संचालन अजय पंचोलिया ने किया। पोरवाड़ जैन समाज, इंदौर के पदाधिकारियों द्वारा अभिनंदनपत्र का वाचन कर भेंट किया।
नमिष जैन ने कहा कि श्री आदिनाथ भगवान की तरह इनके पिता, भाई, भतीजी एवं भाई ने दीक्षा ली है। अब यह भी दीक्षा ले रही हैं। दिलीप राजपाल ने कहा कि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी मेरे मित्र सहपाठी रहे हैं। पहले भी पढ़ाई में नंबर एक थे, अब सभी आचार्यो में नंबर एक हैं। प्रतिष्ठाचार्य नितिन झांझरी ने कहा कि प्रेम, पवित्रता, शक्ति ,भक्ति, और आत्मा में रमण करने का नाम दीक्षा है।
डॉ प्रतिक, प्रकाश कैलाश लुहाड़िया, सुनील, ईशान रेखा पतंगिया आदि अनेक वक्ताओं ने दीक्षार्थी के वैराग्य भावना की अनुमोदना की। सभी समाज जनों ने गोद भरकर गर्व महसूस किया। सुदर्शन जटाले ने आभार व्यक्त किया। कंठाली परिवार द्वारा प्रभावना का वितरण किया गया।