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सिहोनिया पंचकल्याणक महोत्सव में धूमधाम से मनाया गया जन्म कल्याणक : तीसरे दिन तीर्थंकर बालक के जन्म की मनाई खुशियां


शांतिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय तीर्थ क्षेत्र सिहोनिया जी पर आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव के तीसरे दिन भगवान का जन्म कल्याण महोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया।इस दौरान गांव में विशाल रथ यात्रा निकाली गई। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन तीर्थंकर बालक के जन्म की खुशियां मनाई गई। पढ़िए अंबाह से अजय जैन की यह खबर…


  अंबाह। श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय तीर्थ क्षेत्र सिहोनिया जी पर आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव के तीसरे दिन भगवान का जन्म कल्याण महोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान गांव में विशाल रथ यात्रा निकाली गई। प्रात: साढ़े 6 बजे से प्रतिष्ठाचार्य मनोज शास्त्री आहार जी के निर्देशन में जाप, मंत्राराधान, नित्यमह पूजा और हवन आदि की धार्मिक क्रियाएं संपन्न कराई गई। इसके बाद आठ बजे से आदि कुमार का जन्म, जन्मतिशय आरोपण, बधाइयां, सौधर्म इंद्र द्वारा अयोध्या नगरी की प्रदक्षिणा आदि का मंचन किया गया।

अयोध्या नगरी में त्रिलोकीनाथ का जन्म हो गया

आचार्य श्री वसुनंदी महाराज ने मंगल प्रवचन में कहा कि जब भगवान का जन्म होता है तो सर्वत्र सुख-शांति की लहर दौड़ जाती है। आपसी बैर भाव और वैमनस्यता स्वत: ही समाप्त हो जाती है। उन्होंने कहा कि भगवान का जन्म होते ही सौधर्म इंद्र का आसन पुन: कंपायमान हो जाता है। इंद्र अपने अवाधिज्ञान से पता करता है कि अयोध्या नगरी में त्रिलोकीनाथ का जन्म हो गया है। इंद्र-इंद्राणी सहित स्वर्ग से आयोध्या नगरी आकर तीन प्रदक्षिणा देता है। इंद्राणी प्रसूती ग्रह से बालक आदि कुमार को लाती हैं, सौधर्म इंद्र भगवान के रूप एवं स्वरूप को देखकर मंत्रमुग्ध थे। दो नेत्रों से तृप्ति न होने पर इंद्र अपने सहस्त्र नेत्र कर लेते हैं और त्रिलोकीनाथ को निहारते हैं फिर ऐरावत हाथी पर प्रभु को विराजमान कर पांडुक शिला पर ले जाकर 1008 कलशों से भगवान का अभिषेक किया जाता है।वही आयोजन में रात्रि के समय आरती, शास्त्र प्रवचन के साथ पालना, बाल क्रीड़ा, पालनहार का पालना आदि का मनमोहक मंचन किया गया। इस अवसर पर निकाली कई भव्य शोभा यात्रा में हाथी और झांकियां आकर्षण का केन्द्र रही। महिलाएं धार्मिक धुनों पर नृत्य करती हुई चल रही थी। इस दौरान आकाश भगवान आदि कुमार के जयघोषों से गुंजायमान रहा।

शामिल हुए विधानसभा अध्यक्ष तोमर

सिहोनिया के पंचकल्याणक महोत्सव में शुक्रवार को मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्रसिंह तोमर शामिल हुए। उन्होंने इस दौरान कहा कि चंबल का क्षेत्र अब डकैतों की पहचान से बाहर निकलकर आध्यात्मिकता, जैनधर्म और संतों की अमृतवाणी से पहचाना जा रहा है। तोमर ने कहा कि कभी डकैतों के नाम से कुख्यात चंबल क्षेत्र अब सनातन धर्म, जैन धर्म और वीर सपूतों की बलिदानी धरती के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा भिंड, मुरैना, दतिया के सोनागिरि, बरासों एवं सिहोनिया में स्थित जैन तीर्थ स्थल जैन धर्म के विचारों और सिद्धांतों को प्रसारित कर रहे हैं। उन्होंने कहा जैन संतों की कठोर तपस्या, त्याग और शाकाहार के प्रचार ने न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी जैन धर्म की पहचान को मजबूती दी है। उन्होंने पंचकल्याणक महोत्सव को जैनधर्म की एक महत्वपूर्ण कड़ी बताया और कहा कि संतों के आशीर्वाद से सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

पंचकल्याणक पाषाण को भगवान बनाने की क्रिया 

महोत्सव के दौरान विधान सभा अध्यक्ष नरेंद्रसिंह तोमर ने महोत्सव में भाग लिया। इसके साथ ही मंच पर उपस्थित सभी संत जनों का आशीर्वाद लिया। इस दौरान पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष जिनेश जैन ने कहा कि यह आयोजन केवल सिहोनिया मंदिर का नहीं होकर संपूर्ण मुरैना जिले का है। सिहोनिया धर्म की नगरी है। पंचकल्याणक का महत्व बताते हुए उन्होंने बताया कि पंचकल्याणक पाषाण को भगवान बनाने की क्रिया है। यह अनुष्ठान प्रेरणा देता है कि हमें धार्मिक क्रियाओं पालन करना चाहिए।

उन्होंने कहा पंचकल्याणक आत्मा को परमात्मा बनाने, पतित को पावन बनाने, तीर्थंकर प्रभु की  कथा सुनने और धर्म की महिमा बताने का माध्यम है।

बच्चों को संस्कारित करना जरूरी

पंच कल्याणक में अभी तक आपने गर्भ कल्याणक और जन्म कल्याणक देखा है। शनिवार को ज्ञान एवं रविवार को दीक्षा तप कल्याणक होगा और अंतिम दिवस मोक्ष कल्याणक होगा। पंचकल्याणक से आपको छोटे-छोटे नियम लेकर जीवन को धर्म पर मार्ग पर चलने के लिए प्रयास करना चाहिए। इसके लिए छोटे बच्चों को संस्कारित करना बहुत जरूरी है।

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