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12 दिवसीय वृहद भक्तामर विधान पांचवा का दिन : भक्तामर हमें हमारे पाप कर्म को नाश करने का बार-बार स्मरण दिलाता है – मुनि पूज्य सागर


अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज के धर्म प्रभावना रथ के चौथे पड़ाव में संविद नगर, कनाडिया रोड, आदिनाथ जिनालय में 12 दिवसीय वृहद महामंडल विधान के पांचवे दिन के मुख्य पुण्यार्जक सौधर्म श्री आदिनाथ महिला मंडल और सौधर्म इन्द्र डी के जैन डीएसपी- माला ने भक्तमर काव्य 17, 18, 19 और 20 की आराधना करते हुए 224 अर्घ्य समर्पित किए। इस अवसर पर मुनि श्री के प्रवचन भी हुए। पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट…


इंदौर। अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज के धर्म प्रभावना रथ के चौथे पड़ाव में संविद नगर, कनाडिया रोड, आदिनाथ जिनालय में 12 दिवसीय वृहद महामंडल विधान के पांचवे दिन के मुख्य पुण्यार्जक सौधर्म श्री आदिनाथ महिला मंडल और सौधर्म इन्द्र डी के जैन डीएसपी- माला ने भक्तमर काव्य 17, 18, 19 और 20 की आराधना करते हुए 224 अर्घ्य समर्पित किए।

इस आयोजन में अब तक कुल 1120अर्घ्य समर्पित किए जा चुके हैं। आयोजन में शान्तिधारा का लाभ अमोलकचंद आनंद कुमार पहाड़िया को, दीप प्रज्ज्वलन, चित्रानावरण और मुनि श्री के पाद प्रक्षालन का लाभ श्री आदिनाथ महिला मंडल को और शास्त्र भेंट का लाभ आनंद पहाड़िया, मीना जैन को प्राप्त हुआ।

भक्तामर काव्य की विशेषताएं

इस अवसर पर अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज ने कहा कि आचार्य मांगतुंग ने जितनी निर्मलता और पवित्रता के साथ भक्तामर काव्य की रचना की, आज हम उस स्तर की निर्मलता और पवित्रता नहीं रख पा रहे हैं, जिसके कारण भक्तामर काव्य का प्रभाव भी कम हो रहा है। निर्मलता और पवित्रता के लिए सकारात्मक ऊर्जा के आवश्यकता है।

नकारात्मक परिस्थिति में रहकर हम अपने ऊपर आने वाले कष्ट, दुख को कर्म का उदय मानकर सहजता से सहन कर लें तो सकारात्मकता का संचार होगा। उन्होंने कहा कि जब स्वयं के बच्चे के लिए कोई अड़ोसी- पड़ोसी शिकायत लेकर आता है, बच्चे ने ऐसा कर दिया है फिर भी हम उसे समय यही कहते हैं कि मेरा बेटा ऐसा कर ही नहीं सकता है।

हम जितनी सकारात्मक ऊर्जा अपने बच्चे के लिए रखते हैं, उतनी ही सकारात्मक ऊर्जा हमें अपने अशुभ करने के साथ भी रखनी चाहिए कि यह मेरे ही अशुभ क्रिया का फल है। छप्पन भोग को खाने का तरीका अलग-अलग है। जैसे हम रबड़ी खाएं तो उसको चाट कर खाते हैं। हम घेवर आदि खाएंगे तो उसको चबाकर खाना पड़ेगा। चटनी को चाट करके ही उसका स्वाद आता है।

अगर इसके अलावा हम अन्य तरीके से उनको खाएंगे तो स्वाद नहीं आएगा। इस प्रकार भक्तामर की आराधना करते समय हम उसे सही चिंतन के साथ सकारात्मक ऊर्जा के साथ एवं उनके एक-एक शब्दों को बिना समझे मात्र पढ़ रहे हैं तो उसका संपूर्ण फल हमें प्राप्त नहीं होगा। मात्र हम यह कह सकते हैं कि हमने भक्तामर की आराधना की। घर में कोई मांगलिक कार्यक्रम हो और हमें कोई अधिक जानकारी नहीं हो, धर्म की तो भी हमें उस समय कार्य को प्रारंभ करने से पहले भक्तामर के प्रथम काव्य की आराधना करनी चाहिए।

यह काव्य हमें लक्ष्य से भटकने नहीं देता है। यह काव्य हमें हमारे पाप कर्म को नाश करने का बार-बार स्मरण दिलाता है। यह काव्य हमें शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एवं आगंतुक दुखों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है।

काव्य का महत्व जानें

काव्य नंबर दो की आराधना करने से हमारे अंदर अवसाद, तनाव जैसे रोग नहीं होते हैं। हमारे अंदर विनय गुण प्रकट होता है। एक काव्य हमें ध्यान नहीं, ज्ञान का महत्व बताता है और एक काव्य हमें यह बात भी सिखाता है कि संसार में अरिहंत सिद्ध साधु धर्म ही उत्तम , शरण और मंगल है।

इस काव्य की आराधना से कर्म शत्रु एवं बाह्य शत्रु के साथ शरीर की पीड़ा का भी नाश होता है। इन काव्यों की साधना साधना पवित्र मन, निर्मल मन और सकारात्मक ऊर्जा के साथ करने से परमात्मा पद की प्राप्ति होती है।

यह भी रहे मौजूद

धर्म सभा में समाज के सचिव महावीर जैन, महावीर सेठ,पवन मोदी, राजेश जैन, जया सालगिया, तल्लीन जैन, लाल मंदिर कनाडिया रोड महिला मंडल, आदिनाथ दिगंबर जैन महिला मंडल कनाडिया रोड की अध्यक्षता भारती सेठ, उपाध्यक्ष पारुल पहाड़िया, सचिव ऋतु जैन, कोषाध्यक्ष मेघा पहाड़िया एवं समस्त महिला मंडल व अन्य समाजजन मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन महावीर जैन ने किया। विधि- विधान का कार्य नितिन जैन, अनुराग जैन द्वारा किया गया।

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