समूह की ओर से परमपूज्य आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज को विनयांजली सभा में मैंने माताओं से एक सरल सहज सवाल किया
1. क्या वर्तमान काल की माताओं मे अखंड वीर्य को धारण किये हुए देह से मुक्त होने वाले महामुनी तपस्वी गुरूवर श्री विद्यासागर जी को अपने गर्भ मे स्थान देने की क्षमता है?
2. क्या वर्तमान काल मे वो माताएं हैं जो पंखा,कूलर,ए.सी. का बिना उपयोग किये, गर्भ धारण काल, बिता सकती हैं ?
ऐसी दशा मे वे उनका अभाव भी महसूस न करें अपितु आनंद की अनुभूति करें क्या ऐसा संभव है?
3. क्या वर्तमान काल मे ऐसी माताएं उपलब्ध हैं जो मोबाइल, टीवी, लैपटॉप इत्यादि के माध्यम से प्राप्त ज्ञानार्जन से मुक्त हो…..माता श्रीमंती के जैसी जीवन शैली हो?
मेरा तो गर्भवती माताओं से एक और निवेदन है जो वो पूर्ण कर रही भी हैं…
अपने 9 माह की डेली डायरी बनाओ जिसमें
1 उठने से लेकर सोने तक,
2 राग से लेकर वैराग्य तक,
3 अभाव से लेकर इक्छाओ तक,
4 हर्ष से लेकर विषाद तक,
5 लालच से लेकर निर्मोही पने तक,
6 आशक्ति से दान तक दान से त्याग तक
7 करुणा से लेकर क्रूरता तक
8 मुस्कुराहट से लेकर क्रोध तक
9 आंशु से लेकर चिड़चिड़ाहट तक
10 चिड़चिड़ाहट से लेकर खिलखिलाहट तक
11 क्षमा से ले वात्सल्य तक
12 धर्म से साधना तक,
13 साधना (श्लोक- मंत्र) से लेकर ध्यान तक
14 ध्यान से लेकर मौन तक,मौन से ले तपस्या, ब्रम्हचर्य तक
आपने प्रतिदिन किस शुभ को कितना प्रतिशत सफलता से प्राप्त किया ,प्रतिदिन लिखो.
डिलेवरी के बाद डायरी को बच्चे की कुंडली समझ रख लेना….
जब कभी उसे वैराग्य हो तो उसके गुरू को डेली डायरी दे देना….
जो कमियां आपमे होंगी वो उसका छुपा हुआ स्वभाव है…यह समझ लेना चाहिए….
सावधनी से ही दीक्षा दी जाए.
नि:संदेह ज्ञानवान बच्चे बहुत आएंगे, संसार को अहिंसा पाठ भी पढ़ायेंगे लेकिन विद्यासागर जी गुरुदेव को लाना…..
पत्थरों मे से पानी निकालने जैसा होगा…..
(100000 गर्भ संस्कारित बच्चों को सफलता पूर्वक लाने मे सफलता, 700 से ज्यादा बच्चों को मिसकैरेज होने से, अबॉर्शन होने से बचाने मे सफलता वे बच्चे आज इसी संसार मे मुस्कुरा रहे हैं। )
डॉ अनीश जैन
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