जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ एवं चंद्र प्रभु भगवान का जन्म एवं तप कल्याणक गुरुवार पौष कृष्ण एकादशी को नगर में विराजमान आर्यिका 105 सुनयमति माताजी के सानिध्य में श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर में बहुत ही भक्ति भाव एवं हर्षोल्लास से मनाया गया। पढ़िए एक रिपोर्ट…
सनावद। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ एवं चंद्र प्रभु भगवान का जन्म एवं तप कल्याणक गुरुवार पौष कृष्ण एकादशी को नगर में विराजमान आर्यिका 105 सुनयमति माताजी के सानिध्य में श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर में बहुत ही भक्ति भाव एवं हर्षोल्लास से मनाया गया। सन्मति काका ने बताया कि आर्यिका माताजी के सानिध्य में प्रातः श्रीजी का अभिषेक कर शांति धारा की गई। इस अवसर पर आर्यिका सुनयमति माताजी ने कहा कि भक्ति अतिश्यकारी होती है। भक्ति जब अतिशय का रूप ले लेती है तो वो तो परिणामों की शुद्धि में हितकर होती हैं। भक्ति जब की जाती है तो वो अन्नत गुना फल देने वाली होती हैं। आज हम भगवान पार्श्वनाथ का जन्म और तप कल्याणक मना रहे हैं। जन्म सार्थक हो तप धारण करें। इन भावनाओं के साथ भक्ति का अभिलेख है।
सुमधुर भजनों से आरती की
इस पावन अवसर पर शाम को बड़ा मंदिर जी में आर्यिका माताजी ने धार्मिक क्लास लेकर प्रश्नमंच आयोजित किया। तत्पश्चात प्रदीप पंचोलिया, प्रशांत जैन, कमल जैन ने अपने सुमधुर भजनों से आरती कर संपूर्ण कार्यक्रम में समा बांधकर सभी को भक्ति करने पर बाध्य कर दिया। इस अवसर पर सभी समाज जनों ने अपनी सहभागिता दर्ज करवाई।
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