सारांश
प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का निर्वाण कल्याणक शुक्रवार को श्रद्धा व उल्लास के साथ जैन मंदिरों में मनाया गया। अभिषेक, शान्तिधारा व पूजन के कार्यक्रम हुए। पढ़िए पूरी रिपोर्ट सन्मति जैन काका की
सनावद। जैन समाज की ओर से प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का निर्वाण कल्याणक शुक्रवार को श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया। आदिनाथ छोटा जैन मंदिर सहित बड़ा पार्श्वनाथ जैन मंदिर, सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर में अभिषेक, शान्तिधारा व पूजन के कार्यक्रम हुए।
भगवान आदिनाथ के निर्वाण का लाडू चढ़ाया गया। आदिनाथ छोटा मंदिर में प्रशांत चौधरी, कैलाश जटाले, प्रफुल्ल जैन,सरल जटाले, सुनील के जैन,तपन जैन आशीष झाझरी,ने मुख्य लाडू चढ़ाया।
सन्मति जैन ने बताया कि भगवान आदिनाथ जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर हैं। सभी तीर्थंकरों के पांच कल्याणक होते हैं, जिनमें अंतिम कल्याणक मोक्ष कल्याणक होता है। मोक्ष कल्याणक में तीर्थंकर शरीर, कर्म आदि से मुक्त होकर सिद्ध हो जाते हैं और उनका पुनः संसार में आवागमन नहीं होता है।
मनुष्य जीवन के लिए संसार से मुक्ति सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि होती है। मोक्ष कल्याणक के माध्यम से भगवान आदिनाथ ने हजारों वर्ष पूर्व आज ही के दिन मोक्ष (निर्वाण) पद प्राप्त किया था।
भक्तामर जी का पाठ, आरती व भजन- संध्या
इस अवसर पर रात्रि में भक्तामर जी का पाठ आरती व भजन संध्या का आयोजन किया गया।
इस अवशर पर दिनेश पाटनी, कुसुम काका, सुनील भुच, सावित्री बाई, प्रकाश बहनजी, प्रतिभा जैन,साधना मुंसी, मंजुला भुच, सुनीता लश्करे,अप्सरा जटाले सहित सभी समाजजन उपस्थित थे।
णमोकार धाम में चढ़ाया गया लाड़ू
सनावद से 3 किलोमीटर दूर स्थित णमोकार धाम में भी भगवान आदिनाथ के समक्ष विशाल सराफ रिंकेश जैन के द्वारा अर्घ सहित लाड़ू समर्पित किया गया।
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