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बानपुर में होगा पंचकल्याणक प्रतिष्ठा-गजरथ महोत्सव

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा-गजरथ महोत्सव के लिए आचार्य विशुद्ध सागर जी से समिति ने लिया आशीर्वाद

अतिशय क्षेत्र बानपुर के प्रतिनिधि मंडल ने किया श्रीफल समर्पित

आत्मा से परमात्मा बनने की प्रक्रिया का महोत्सव है पंचकल्याणक : आचार्य श्री विशुद्धसागर

सुनील जैन संचय

ललितपुर। जनपद के दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बानपुर में आगामी 28 नवम्बर 2022 से 4 दिसम्बर 2022 तक श्री मज्जिनेन्द्र शांतिनाथ चौबीसी तथा मानस्तम्भ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा, विश्वशांति महायज्ञ एवं गजरथ महोत्सव का आयोजन आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज , मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज (ललितपुर नगर गौरव), मुनि श्री सौम्य सागर जी महाराज के मंगल सान्निध्य में होने जा रहा है। महोत्सव की तैयारियां तेज हो गईं हैं।

रायपुर, छत्तीसगढ़ पहुँचकर श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बानपुर के अध्यक्ष नायक महेंद्र कुमार जैन, इन्द्रकुमार, प्रदीप कुमार, निर्मल कुमार, महावीर, राहुल पाइया, श्रवण सिंघई आदि ने आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज को श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

आयोजन समिति के प्रतिनिधि मंडल को आशीर्वाद प्रदान करते हुए आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज ने कहा कि आत्मा से परमात्मा बनने की प्रक्रिया का महोत्सव है पंचकल्याणक। पुण्यशाली व्यक्ति को ही पंचकल्याणक में पात्र बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है, इसलिए अपने सौभाग्य को जगाएं।

मीडिया प्रभारी डॉ. सुनील संचय ललितपुर ने बताया कि अतिशय क्षेत्र बानपुर में दसवीं शताब्दी की मूर्तियाँ विद्यमान हैं। हजारों वर्ष पुराना सहस्रकूट चैत्यालय शिल्पकारी का उत्कृष्ट नमूना है। शांतिनाथ बड़े बाबा की विशाल 18 फुट ऊँची प्रतिमा अतिशय युक्त है। कुन्थुनाथ, अरहनाथ की विशाल प्रतिमायें भी विराजित हैं। ऐतिहासिक, पुरातात्विक , सांस्कृतिक और शौर्य भूमि बानपुर में पंचकल्याणक महोत्सव का ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है।

समिति के अध्यक्ष नायक महेंद्र जैन बानपुर ने बताया कि आयोजन की भव्यता को लेकर युद्ध स्तर पर तैयारियां शुरू हो गयी हैं जल्द ही विभिन्न विभागों के अलग-अलग दायत्वि व जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।

आयोजन में सान्निध्य प्रदान करने के लिए मुनि श्री सुप्रभसागर सागर जी महाराज ससंघ का पद विहार चातुर्मास के बाद होगा। वर्तमान में मुनित्रय विदिशा में चातुर्मासरत हैं

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