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बानपुर में शांतिनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव का शुभारंभ सोमवार से

आत्मा से परमात्मा बनने की प्रक्रिया का महोत्सव है पंचकल्याणक : मुनि श्री सुप्रभसागर

ललितपुर। जनपद के दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बानपुर में सोमवार 28 नवम्बर से श्री मज्जिनेन्द्र शांतिनाथ चौबीसी तथा मानस्तम्भ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा, विश्वशांति महायज्ञ एवं गजरथ महोत्सव का शुभारंभ आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज ससंघ एवं मुनि श्री समत्व सागर जी महाराज ससंघ के मंगल सान्निध्य में होने जा रहा है।

आयोजन ब्रह्मचारी साकेत भैया के निर्देशन में में होगा। प्रतिष्ठा निर्देशक ब्र. जय कुमार निशांत भैया टीकमगढ़ एवं प्रतिष्ठाचार्य पंडित मुकेश ‘विन्रम’ गुड़गांव के प्रतिष्ठाचार्योत्व में सम्पन्न हो रहा है। आयोजन स्थल को दुल्हन की तरह सजाया गया है। मुख्य कार्यक्रम के लिए बस स्टैंण्ड स्थित महाराजा मर्दन सिंह क्रिकेट ग्राउंड पर भव्य पांडाल बनाया गया है, यहीं से सभी कार्यक्रम आयोजित होंगे।

मुनिसंघ का हुआ भव्य मिलन :
आज रविवार को शाम को मुनि श्री सुप्रभ सागर महाराज, मुनि श्री प्रणत सागर जी महाराज, मुनि श्री सौम्यसागर जी महाराज एवं मुनि श्री समत्व सागर महाराज, मुनि श्री साक्ष्य सागर, मुनि श्री निवृत्तसागर जी महाराज का भव्य मिलन हुआ जिसे देखकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे, आकाश जयकारों से गुंजायमान हो उठा। मुनि श्री समत्व सागर जी टीकमगढ़ से पद विहार कर बानपुर पहुँचे वहीं मुनि श्री सुप्रभसागर ससंघ बानपुर में नगर सीमा पर पहुँचे, जहाँ दोनों संघ का मिलन हुआ। गाजे-बाजे के साथ श्रद्धालु इसके साक्षी बने। द्वय मुनि संघ सैकडों श्रद्धालुओं के साथ जैन मंदिर परिसर पहुँचे जहाँ पर समिति के पदाधिकारियों ने पाद प्रक्षालन और आरती उतारी। रास्ते में जगह-जगह मुनि संघ का पाद प्रक्षालन और आरती श्रद्धालुओं ने अपने घर के दरवाजे पर की। द्वार-द्वार पर रंगोली सजायी गयी।

समागत अतिथियों, समाज श्रेष्ठिगणों का आयोजन समिति द्वारा सम्मान किया गया। आभार अध्यक्ष महेन्द्र नायक ने किया।  इस अवसर पर मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने कहा कि नर से नारायण, आत्मा से परमात्मा बनने की प्रक्रिया का महोत्सव है पंचकल्याणक। भगवान के पाँच कल्याणक गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष को निमित्त बनाकर पंचकल्याणक महोत्सव मनाये जाते हैं। जो पंचकल्याणक में शामिल हो जाता है उसका कल्याणक निश्चित हो जाता है ऐसा शास्त्रों का विधान है। तीर्थंकरों के पंचकल्याणकों में शामिल होना सातिशय पुण्य के बन्ध का कारण बताया है।

पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव जैन समाज का सर्वाधिक महत्वपूर्ण नैमित्तिक महोत्सव है। यह आत्मा से परमात्मा बनने की प्रक्रिया का महोत्सव है। पौराणिक पुरुषों के जीवन का संदेश घर-घर पहुँचाने के लिए इन महोत्सवों में पात्रों का अवलम्बन लेकर सक्षम जीवन यात्रा को रेखांकित किया जाता है। थोड़ा इसे विस्तार से समझने का प्रयत्न करते हैं।

सोमवार को गर्भ कल्याणक के पूर्व रूप की आंतरिक क्रियाएं की जाएंगी : महोत्सव के प्रचारमंत्री डॉ सुनील संचय ने जानकारी देते हुए बताया कि सोमवार को प्रातः 6.30 बजे से अभिषेक, शांतिधारा के बाद देवाज्ञा, गुरु आज्ञा, तीर्थमण्डल पूजा के बाद 7. 45 बजे घटयात्रा होगी। इसके बाद ध्वजारोहण, मंडप उदघाटन, वेदी शुद्धि एवं संस्कार होंगे। 9.30 बजे से मुनिश्री के प्रवचन, सकलीकरण, इंद्र प्रतिष्ठा, नान्दीविधान, दोपहर में यागमण्डल विधान शाम को संगीतमयी महाआरती होगी तथा सौधर्मेन्द्र सभा, नगरी रचना, अष्टदेवी द्वारा माता की सेवा, 16 स्वप्न दर्शन, गर्भ कल्याणक की आंतरिक क्रियाएं की जाएंगी।

महोत्सव का सौभाग्य : महोत्सव में भगवान के माता-पिता डी सी जैन सागर, सौधर्मेन्द्र सुनील जैन सुंदरपुर, धनपतिकुबेर इंद्र प्रमोद राजेश सिंघई बानपुर, महायज्ञ नायक इंद्रकुमार, श्रवण सिंघई बानपुर,यगनायक महेन्द्र कुमार नायक, शान्तिकुमार सुनील जैन नगर सेठ, सनत कुमार इंद्र शीतल चन्द्र नितिन मड़वैया , माहेन्द्र-जय विजय मड़वैया,ब्रह्म इंद्र-रविन्द्र मड़वैया, नारायण शुभम मोदी को बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

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