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विनयांजलि सभा में आत्मानंदसागर जी महाराज का किया गुणानुवाद: 2 अप्रैल को समतापूर्वक हुई थी समाधि 


मुनिश्री ससंघ से आत्मानंद सागर जी महाराज अंतिम संबोधन सुनकर 2 अप्रैल को समतापूर्वक समाधि मरण प्राप्त हो गए। आत्मानंद सागर के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए विनयांजलि सभा रखी गई। इस अवसर पर समाजजनों ने उनका गुणानुवाद किया। इंदौर से पढ़िए राजेश जैन दद्दू की खबर…


इंदौर। पाठशाला प्रेरक मुनि श्री निर्णय सागर जी महाराज और मुनि श्री महिमासागर मुनिश्री आदित्य सागर, मुनिश्री अप्रमित सागर जी महाराज ससंघ से आत्मानंद सागर जी महाराज अंतिम संबोधन सुनकर 2 अप्रैल को समतापूर्वक समाधि मरण प्राप्त हो गए। आत्मानंद सागर के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए विनयांजलि सभा रखी गई। शनिवार सुबह 8 बजे समवशरण मंदिर कंचन बाग में मुनिश्री निर्णय सागर जी महाराज के प्रवचन के बाद उदासीन श्राविका आश्रम ट्रस्ट, तुकोगंज जैन समाज, जैन समवशरण ग्रुप, महिला मंडल, बहुमंडल और सभी दिगंबर जैन समाज के लोगों ने पंडित जी को विनयांजलि अर्पित की।

दिगंबर जैन समाज के प्रख्यात विद्वान् करुणानियोग के महाज्ञानी जिन्होंने अनेक आचार्य भगवंत, मुनि महाराजों, साधु-संतों ब्रह्मचारी भाई बहनों को पढ़ाया। धर्म की बारीकियों को समझाया। ऐसे समाज रत्न पंडित रतनलाल जी आचार्य श्री समय सागर जी, आचार्य विशुद्ध सागर जी के आशीर्वाद से मुनि श्री निर्णय सागर, मुनिश्री महिमा सागर, मुनिश्री आदित्य सागरजी, मुनिश्री अप्रमित सागरजी, मुनिश्री आराध्य सागर, मुनिश्री सहज सागर एवं छुल्लक श्रेयस सागर जी द्वारा 10 वीं प्रतिमा धारण की और नाम मिला आत्मानंद सागर जी।

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