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अतींद्रिय है मोक्ष का सुखः मुनि श्री आदित्य सागर जी

न्यूज सौजन्य-राजेश जैन,दद्दू

इंदौर। श्रुत संवेगी मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज ने रविवार को समोसरण मंदिर, कंचन बाग में प्रवचन देते हुए कहा कि सुबह का भूला शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते। उसी प्रकार संसार में जो भटक रहे हैं यदि वह भी लौटकर मोक्ष मार्ग में आ जाएं तो उन्हें भी भूला मत कहना। मुनि श्री ने कहा कि मोक्ष का सुख तो अतींद्रिय इंद्रियों की पहुंच से बाहर है। आत्मा में रस होता नहीं, अध्यात्म में रस होता है। मोक्ष को परिभाषित करते हुए आपने कहा कि जब इच्छाएं जीवित रहें और निधन हो जाए तो मृत्यु और जब इच्छाएं मर जाएं, भावों का नाश हो जाए, सांसे चल रही हों तो मोक्ष है।
मुनि श्री ने स्वर्ग में देवों के सुख की चर्चा करते हुए कहा कि चार प्रकार के देव होते हैं- भवन वासी, व्यनतर, ज्योतिष और वैमानिक। इन सभी देवों को स्वर्ग में जन्म के दुख नहीं होते और ना ही पारिवारिक, शारीरिक,मानसिक, व्यवहारिक, और सामाजिक दुख होता है। वे दीर्घजीवी होते हैं। जब तक आयु है कब तक वह पूर्णतः सुख ही सुख भोगते हैं। वहां कोई दुख नहीं होता। वहां ना कोई दुबला होता है ना कोई मोटा ना कद में छोटा होता है। आदित्य सागर जी महाराज ने यह भी कहा कि ग्रहस्थ जीवन में भी यदि कोई धर्म से जुड़ा है और दान, पूजन अभिषेक कर रहा है तो वह भी जीवन पर्यंत इंद्रिय सुख का भोग करते हुए भी सम्यकत्व के साथ मरण करता है तो वह स्वर्ग ही जाता है।

 

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प्रकाश श्रीवास्तव

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