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सुधादेशना स्नातक परिषद संगोष्ठी का अंतिम सत्र : बड़ों की कृपा होने से हो जाते हैं सारे काम- मुनि श्री सुधासागर महाराज


हरीपर्वत स्थित श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के अमृत सुधा सभागार में श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान के तत्वावधान में तीन दिवसीय स्नातक परिषद अधिवेशन एवं युवा परिषद संगोष्ठी आयोजित हुई। इसके अंतिम दिन मुनिपुगंव श्री सुधासागर महाराज ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि बड़ों से कभी अपने कार्य नहीं कराना, हो सके तो बड़ों के सारे कार्य तुम्हें करना है ये शगुन है। पढ़िए शुभम जैन की विशेष रिपोर्ट….


आगरा। हरीपर्वत स्थित श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के अमृत सुधा सभागार में श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान के तत्वावधान में तीन दिवसीय स्नातक परिषद अधिवेशन एवं युवा परिषद संगोष्ठी के अंतिम दिन शरद पूर्णिमा के अवसर पर संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के अवतरण दिवस पर श्रमण संस्कृति संस्थान के युवा विद्वानों ने संगीतमय होकर भक्ति का समां बांध दिया। जैन धर्म की शान आचार्य़ श्री विद्यासागर जी महाराज के 77वें अवतरण दिवस पर आयोजित हुए तीन दिवसीय स्नातक सम्मेलन का समापन हुआ और इस पावन बेला में श्री दिगंबर जैन धर्म प्रभावना समिति के पदाधिकारियों द्वारा सभी अतिथियों का सम्मान किया गया। भक्ति के इस क्रम में श्रमण संस्कृति संस्थान के वर्ष 1997 से लेकर वर्तमान तक के बैच के स्नातक विद्वानों ने श्रमण संस्कृति के जनक मुनिपुगंवश्री को अर्घ्य अर्पित कर वंदन किया। तत्पश्चात बाहर से आए हुए गुरुभक्तों ने मुनिश्री का पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।

पहले जिनवाणी है बाद में दुनिया

इस अवसर पर मुनिपुगंव श्री ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भाग्य की जब तुम्हारे अंदर तीन बातें आएं तो समझ लेना, तुम्हारा बहुत बड़ा अशुभ दिन शुरू हो गया है। पहला तो सबसे बड़ा अपशगुन है कार्य शुरू करने के पहले, जिंदगी शुरू करने के पहले, प्रातःकाल उठने के पहले, जन्मदिन मनाते समय, नववर्ष या जिसे आप माह का प्रारंभ मानते हैं, उस समय होगा वही जो होना है होगा, ऐसा विचार आ गया निश्चित आपकी जिंदगी का अपशगुन हो गया। सारे अपशगुन टाले जा सकते है लेकिन यदि ये परिणाम आ गया तो वह कार्य तुमसे होगा ही नहीं। दूसरा है भगवान भरोसे, बड़ो के भरोसे। बड़ों की कृपा हो जाये, भगवान की कृपा हो जाये तो ये कार्य हो सकते हैं, आपने खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली, बड़े भी फेल हो जाएंगे। बड़ों से आशीर्वाद उनका नाम लेना अलग चीज है। बडे मेरा कार्य कर दें, वो भगवान, गुरु, मां-बाप कोई भी हो सकता है। किसी बालक को ये भाव आ गया- माता-पिता की वसीयत मुझे मिल जाए, बहुत सम्पत्ति है तो मेरी जिदंगी में सुख हो जाएगा समझ लेना तुम्हारी पूरी जिंदगी रोते हुए गुजरेगी। बड़ों से कभी कुछ भी कराने का भाव, ये कार्य मेरा बड़ा कर देगे तो हमारा कार्य हो जाएगा, ये दूसरा अपशगुन अपनी जिंदगी में कभी मत आने देना। बड़ों से कभी अपने कार्य नहीं कराना, हो सके तो बड़ों के सारे कार्य तुम्हें करना है ये शगुन है। आप भोजन करने जा रहे हो थोड़ा किसी बड़े को, अपने मां-बाप को एक ग्रास अपने हाथ से खिला देना, परोस देना वो प्रसाद बन जायेगा। जैनदर्शन में साधु को आहार देकर भोजन करने की परंपरा क्या है। जो कार्य भोजन के बाद करना है, वही भोजन तुम महाराज को देकर करोगे, तो तुम्हारा वह भोजन जो बाद में खाओगे वह प्रसाद के समान ऊर्जात्मक हो जाता है, उसकी एनर्जी बहुत बढ़ जाती है क्योंकि तुमने इसमें से पहले महाराज को दिया है। धर्म के लिए बड़ों के लिए बचा हुआ देना भिखारी को दिया जाता है और भोगने के पहले देना भिक्षुक को दिया जाता है। हर चीज में यही लगाना, समय बचेगा तो मन्दिर चले जायेंगे, समय बचेगा तो मां-बाप की सेवा कर लेंगे महानुभाव बहुत बड़ा दोष है समय बचेगा तो तुमने धर्म का सबसे बड़ा अपमान किया है। यानी दुनिया में सबसे बेकार चीज है धर्म जो समय बचेगा तो कर लेंगे। अरे धर्म वो अनमोल चीज है कि दुनिया के लिए समय बचेगा तो दे देंगे पहले हम धर्म करेंगे, ये धर्म का सम्मान है। पहले हम मन्दिर बनाएंगे, बचा रहेगा तो मकान बनाएंगे। पहले हम स्वाध्याय करेंगे, 5 मिनिट सही, 2 मिनिट, 1 मिनिट करेंगे, चलो कुछ नहीं करेगे तो जिनवाणी मां का दर्शन करेंगे, पहले जिनवाणी है बाद में दुनिया है। तीसरा अपशगुन कभी मत करना भाग्य भरोसे, मेरी किस्मत में जो लिखा है वही होगा। कब कार्य प्रारंभ के समय, सुबह उठते समय, शुभ कार्य के समय। पॉजिटिव नहीं पावर थिंकिंग- अब वही होगा जो मैं करूंगा, वही जीऊंगा जो जिंदगी मुझे जीना है, वही बनूंगा जो मुझे बनना है, वही देखूंगा जो मुझे देखना है, सब कुछ मेरे हाथ में है। भगवान के हाथ में नहीं, किस्मत के हाथ में नहीं, बड़ों के हाथ में नहीं। जैनी कभी बासा भाग्य नहीं खाता।

ये रहे मौजूद

परिषद अधिवेशन में प्रदीप जैन पीएनसी, निर्मल मोठ्या, मनोज बाकलीवाल, नीरज जैन, पन्नालाल बैनाड़ा, हीरालाल बैनाड़ा, जगदीश प्रसाद जैन, राजेश सेठी, अमित जैन बॉबी, राजेश सेठी, विवेक बैनाड़ा, महेश जैन, अनिल जैन, मीडिया प्रभारी शुभम जैन, राजेश बैनाड़ा, नरेश जैन, सुरेन्द्र पांडया, अंकेश जैन, राहुल जैन, समकित जैन, राजेश जैन सहित आगरा सकल जैन समाज के बडी़ संख्या में गुरुभक्त उपस्थित रहे।

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