सारांश
आचार्य विराग सागर जी महाराज की जन्मस्थली में हो रहा विश्व का सबसे अनूठा पंचकल्याणक। यहां कमल के आकार का मंदिर बन रहा है, जिसका पंचकल्याणक आगामी एक फरवरी से शुरू होगा। पढ़िए एक विशेष रिपोर्ट…
दमोह। जिले में कुण्डलपुर के बाद जैन श्रावकों के लिए दूसरा धर्म क्षेत्र पथरिया में विरागोदय नाम से आकार ले रहा है। खास बात यह है कि यहां कमल आकार के 171 फीट ऊंचे मंदिर में देश की पहली सबसे ऊंची 31 फीट की भगवान धर्मनाथ की प्रतिमा स्थापित की गई है। बीना-कटनी रेलखंड पर ट्रेन से यात्रा कर रहे जैन श्रद्धालु भी इस प्रतिमा के दर्शन ट्रेन में बैठे-बैठ ही कर सकेंगे।
आचार्य विराग सागर की जन्मस्थली
मुनि विहसंत सागर के मुताबिक, आचार्य श्री विराग सागर जी जन्मस्थली पथरिया नगर में उनके शिष्य प्रकाशचंद्र जैन चरखारी पाली नौ फीट की रत्न प्रतिमा विराग सागर जी के नाम से स्थापित कराने के लिए लाए थे । पहले यह प्रतिमा एक मंदिर में स्थापित की गई, इसके बाद भक्तों ने इसे तीर्थ बनाने का संकल्प लिया। इसके बाद ही दमोह रोड पर विरागोदय तीर्थ बनाने की नींव रखी गई। पथरिया नगर की कुंडली देखने के बाद यहां जैन धर्म के 15वें तीर्थंकर भगवान धर्मनाथ की प्रतिमा स्थापित करना उपयुक्त माना गया।
खड़गासन में विराजमान है प्रतिमा
मुनि विहसंत सागर ने बताया कि भगवान धर्मनाथ की 31 फीट की प्रतिमा खड़गासन में विराजमान कराई गई है। इसके अगल-बगल 27-27 फीट की भगवान आदिनाथ और भगवान महावीर की प्रतिमाएं स्थापित हैं। यह पूरा मंदिर कमल आकार में है, जिसकी 1008 पंखुड़ियों में 1008 भगवान स्थापित किए जा रहे हैं। इनके साथ त्रिकाल चौबीसी, भगवान पर्श्वनाथ की 23 प्रतिमाएं भी अलग-अलग स्वरूपों में होंगी। मंदिर की मेहराब के साथ 72 छोटे मंदिर स्थापित होंगे। इस मंदिर के भूतल में 200 गुना 200 का सभागार रहेगा, जिसमें एक साथ 200 साधु रह सकेंगे।
एक साथ 80 पंचकल्याणक
मुनि विहसंत सागर के अनुसार, आगामी एक फरवरी से 15 फरवरी तक यहां पंचकल्याणक आयोजित किया जा रहा है। इसमें पहली बार एक ही मंच पर एक साथ 80 पंचकल्याणक होंगे।। अस्सी जिनालयों के 80-80 पात्र, 80 पांडुक शिलाएं, 80 दीक्षावन, 80 समवशरण, 640 अष्टकुमारियां, 640 लौकांतिक देव भी मंचासीन होंगे। इस अवसर पर यति सम्मेलन व युगप्रतिक्रमण भी विशेष आकर्षण का केन्द्र रहेगा।
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