सारांश
मोदी जी की नसियां, जैन मंदिर, इंदौर के सभागार में दिगंबर जैन महासमिति के अध्यक्ष अशोक जैन बड़जात्या के मुख्य आतिथ्य, हंसमुख जैन गांधी, कैलाश जैन वेद, नरेन्द्र जैन वेद, टी.के. वेद, डीके जैन के विशिष्ट आतिथ्य तथा पत्र संपादक संघ के कार्याध्यक्ष डॉ.सुरेन्द्र कुमार जैन भारती की अध्यक्षता में प्रथम सत्र प्रारंभ हुआ इसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। पढ़िए विस्तृत रिपोर्ट…
इंदौर। अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ की ओर से 21 से 23 जनवरी तक इंदौर एवं उज्जैन में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, दिल्ली, गुजरात ,महाराष्ट्र आदि विभिन्न राज्यों के पत्र संपादक एवं पत्र लेखक, संवाददाताओं ने सहभागिता की। इस असवर पर सभी को परम पूज्य आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
प्रथम सत्र में तीर्थों की सुरक्षा पर हुई बात
21 जनवरी को मोदी जी की नसियां, जैन मंदिर, इंदौर के सभागार में दिगंबर जैन महासमिति के अध्यक्ष अशोक जैन बड़जात्या के मुख्य आतिथ्य, हंसमुख जैन गांधी, कैलाश जैन वेद, नरेन्द्र जैन वेद, टी.के. वेद, डीके जैन के विशिष्ट आतिथ्य तथा पत्र संपादक संघ के कार्याध्यक्ष डॉ.सुरेन्द्र कुमार जैन भारती की अध्यक्षता में प्रथम सत्र प्रारंभ हुआ । इस सत्र का संचालन डॉक्टर संगीता विनायका, संपादक- परिणय संदेश ने किया। प्रारंभ में चंदा हेमंत बड़जात्या के द्वारा लिखित जैनाचार एवं धर्म शास्त्रीय आचार ग्रंथ एवं मेरी भावना से संयुक्त किट सभी पत्र संपादकों को एवं अतिथियों को प्रदान कर मध्य प्रदेश इकाई के सचिव पंडित अशोक जैन शास्त्री, स्वागताध्यक्ष हेमंत जैन, राकेश सोनी, मनीष अजमेरा एवं डॉ. संगीता विनायका ने अभिनंदन किया। मंगलाचरण प्रीति मोदी ने किया।
समाज को मिलेगी नई दिशा
पत्र संपादक संघ की ओर से स्वागत भाषण देते हुए डॉ. सुरेन्द्र जैन भारती ने बताया कि अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ शैलेंद्र जैन एवं डॉ. अखिल जैन बंसल के नेतृत्व में सक्रियता से कार्य कर रहा है। आज के ज्वलंत प्रश्न सामाजिक एकता, तीर्थ सुरक्षा एवं राजनीतिक वर्चस्व, यह तीन विषय इस कार्यशाला में विचार के लिए रखे हैं, इससे समाज को एक नई दिशा मिलेगी। सभी अतिथियों का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके प्रति बहुमान प्रकट किया। डॉ. अरविंद जैन जयपुर ने कहा कि सर्वोदय की भावना, मर्यादा युक्त व्यवस्था का पालन गुणात्मक जैन दर्शन की शिक्षा, जैन धर्म सम्मत शिक्षा आधारित पब्लिक स्कूलों की स्थापना से समाज में एकता स्थापित हो सकती है। तीर्थों की सुरक्षा के लिए सुरक्षात्मक प्रबंध आवश्यक है। टीके वेद ने कहा कि हमें तीर्थ सुरक्षा के लिए कानूनी तरीके से लड़ना चाहिए, हमें अपने सम्मान की चिंता भूल कर तीर्थों के सम्मान की चिंता करना चाहिए।
चिंतन-मनन जरूरी
जैनसंदेश के वयोवृद्ध संपादक एवं पत्र संपादक संघ के प्रवक्ता अनूप चंद जैन एडवोकेट ने कहा कि आज समाज को लेकर जो चिंतनीय स्थिति है, वह विचारणीय है। हम सब संपादक सामाजिक एवं धार्मिक एकता कैसे हो, इस पर चिंतन के लिए एकत्रित हुए हैं ।यदि समाज में एकता हो जाए तो तीर्थों की सुरक्षा हो जाएगी, राजनीतिक वर्चस्व भी बढ़ेगा। हम सीधे आक्षेप ना करें अपितु समझदारी से अपने एजेंडे को बढ़ाएं। उन्होंने साहू शांति प्रसाद जी, साहू श्रेयांस प्रसाद जी, साहू अशोक जैन के कार्यकाल में हुए शिखर जी संबंधी आंदोलनों का उल्लेख किया और कहा कि वर्तमान आंदोलन प्रभावी हुआ किंतु 32 संस्थाएं किंकर्तव्यविमूढ़ स्थिति में थीं ,बिना सफल नेतृत्व के हम सफल नहीं हो सकते। कमल सेठी ने कहा कि संतवाद एवं पंथवाद से ऊपर उठकर हमें तीर्थों की सुरक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा कि हारा वही जो लड़ा नहीं, अतः हम अपने अधिकारों के लिए लड़ना सीखें।
रजत जैन ने कहा कि तीर्थ क्षेत्रों पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होना चाहिए। कैलाश वेद ने कहा कि आज चेतावनी का भी अवसर है और चिंतन का भी। पत्रकार लोकतंत्र के चौथा स्तंभ हैं और ईमानदारी से अपना काम कर रहे हैं । हमें ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो निष्पक्ष, निर्भीक हो। कुछ लिखे जाने से अच्छा है कि हम लिखे जाने योग्य कार्य करें ।
दिखानी होगी मीडिया की उपयोगिता
आज तक टीवी के प्रतिनिधि राहुल जैन ने शिखरजी आंदोलन के संबंध में मीडिया की भूमिका और आंदोलन के नेतृत्व की भूमिका पर विस्तृत प्रकाश डाला और कहा कि मीडिया की उपस्थिति और उपयोगिता दिखानी होगी। दिगंबर और श्वेतांबर समाज को एक मंच पर एक स्वर के साथ आना होगा। हंसमुख गांधी ने कहा हम सामाजिक संगठनों को मजबूत करें। निर्भीक एवं समाज हित में कार्य करें तथा प्रशासनिक, राजनीतिक गुंडागर्दी का डटकर सामना करें तो समाज में प्रेरणा मिलेगी। डी.के .जैन ने कहा कि पहले हम अपने नाम के साथ जैन लिखें, जुलूस भी निकालें तो अनुशासन का ध्यान रखें। अकेले भीड़ दिखाकर हम सफल नहीं हो सकते। हमारे पास एक सुनिश्चित विचार होना चाहिए।
ट्रस्टों का रजिस्ट्रेशन जरूरी
आनंद जैन, इंदौर ने कहा कि हमारे ट्रस्टों का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए। हमारे यहां प्रोफेशनलिज्म नहीं है। असमंजस का भाव है। मुख्य अतिथि अशोक बड़जात्या ने कहा कि जैन शब्द से लाभ भी हैं और हानि भी। यह बड़ी विडंबना है कि करोड़ों रुपयों के प्रोजेक्ट चल रहे हैं लेकिन तीर्थ क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए लोग पांच -दस हजार भी नहीं देना चाहते। अधिकार सबको चाहिए किंतु कर्तव्य भूल जाते हैं। यदि हमने समाज से राजनीति को अलग नहीं किया तो हम सबसे बड़े पापी होंगे। नेतृत्व को गाली देना किसी समस्या का हल नहीं है। हम बिखरे हैं। अतः हमारा राजनीतिक वर्चस्व नहीं है। आभार ज्ञापन हेमंत जैन महावीर टाइम्स ने प्रस्तुत किया और कहा कि इंदौर में इतने अधिक पत्र संपादकों का एक साथ आना अपने आप में महत्वपूर्ण है। पंडित अशोक शास्त्री ने सभी के सहयोग की सराहना की। इस अवसर पर अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ के मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र जैन भारती ,संयुक्त संपादक -समन्वय वाणी सहित बड़ी संख्या में पत्र संपादक उपस्थित थे।
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