अध्यात्म बहुत विस्तारित विषय है। आध्यात्मिकता का किसी धर्म, संप्रदाय, फिलासफी या मत से कोई लेना-देना नहीं है।
आध्यात्मिकता का संबंध मनुष्य के आंतरिक जीवन से है और इसकी शुरुआत होती है उसकी अन्तर्यात्रा से। आप अपने अंदर से कैसे हैं, आध्यात्मिकता इसके बारे में है।
आध्यात्मिक प्रक्रिया व्यक्ति की एक ऐसी अन्तर्यात्रा है जिसमें निरंतर परिवर्तन घटित होता है और इन परिवर्तनों के कारण उपजे उतार-चढ़ाव को उसे सहने के लिए भी तैयार होना चाहिए।आध्यात्म अन्तर्यात्रा से जोड़ता है। आध्यात्मिकता जीवन को सुंदर, सुखद और तृप्त कर सकती है।
आध्यात्मिक होने का मतलब है, जो भौतिक से परे है, उसका अनुभव कर पाना। मनुष्य पूरी दुनिया में भ्रमण करता है लेकिन अन्तर्यात्रा ही नहीं करता तथा अपने अंदर में प्रवेश ही नहीं कर पाता। आध्यात्मिक होने का अर्थ है कि आप अपने अनुभव के धरातल पर जानते हैं कि मैं स्वयं अपने आनन्द का स्रोत हूं।
आध्यात्मिकता सोए हुए व्यक्तियों के लिए नहीं है, यह निधि तो उनके लिए है जो जीवन के हर आयाम को पूर्ण जीवंतता के साथ जीते हैं और हर पल सजग रहते हैं।

अध्यात्मवाद का सकारात्मकता से सीधा संबंध है। जब आप कोई सकारात्मक बदलाव करने का प्रयास करते हैं, तो वह भी एक प्रकार की आध्यात्मिकता ही है। आध्यात्मिक व्यक्ति के लिए मानवता ही सबसे बड़ा धर्म होता है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण ही व्यक्ति को सही राह दिखा पाने में सक्षम है और यही हम सबके जीवन का ध्येय होना चाहिए। आध्यात्मिक होने का अर्थ है कि व्यक्ति अपने अनुभव के धरातल पर यह जानता है कि वह स्वयं अपने आनंद का स्रोत है। आध्यात्मिकता का संबन्ध मनुष्य के आंतरिक जीवन से है और इसकी शुरुआत होती है– उसकी अंतर्यात्रा से। वे सभी गतिविधियाँ, जो मनुष्य को परिष्कृत, निर्मल बनाती हैं, आनन्द से भरपूर करती हैं, पूर्णता का एहसास देती हैं, वे सब आध्यात्म के अन्दर आती हैं। जो व्यक्ति आध्यात्मिक डगर पर आगे बढ़ते हैं, उनमें अदम्य साहस, सशक्त मन, स्वस्थ शरीर व संतुलित भावनाओं का होना जरूरी है।
आध्यात्मिकता का अर्थ है कि अपने विकास की प्रक्रिया को खूब तेज कर देना। आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का अर्थ है कि व्यक्ति अपने बंधनों से मुक्त होने की ओर बढ़ रहा है। आध्यात्मिक जीवन की बहुत- सी कसौटियां हैं लेकिन कुछ ऐसी प्रमुख बातें हैं, जिन्हें जानकर हम यह आकलन कर सकते हैं कि हमारे अंदर आध्यात्मिकता का कितना अंश है। जैसे यदि अगर आप सृष्टि के सभी प्राणियों में भी उसी परम-सत्ता के अंश को देखते हैं, जो आपमें है, जियो और जीने दो में विश्वास करते हैं तो आप आध्यात्मिक हैं। अगर आपको बोध है कि आपके दुख, आपके क्रोध, आपके क्लेश के लिए कोई और जिम्मेदार नहीं है, बल्कि आप खुद इनके निर्माता हैं, तो आप आध्यात्मिक की डगर पर हैं। आप जो भी कार्य करते हैं, अगर उसमें केवल आपका हित न हो कर, सभी की भलाई निहित है, तो आप आध्यात्मिक हैं। अगर आप अपने अहंकार, क्रोध, नाराजगी, लालच, ईर्ष्या, और पूर्वाग्रहों को गला चुके हैं, तो निश्चित ही आप आध्यात्मिक हैं। बाहरी परिस्थितियां चाहे जैसी हों, उनके बावजूद भी अगर आप अपने अंदर से हमेशा प्रसन्न और आनन्द में रहते हैं, तो इसका अर्थ है कि वह आध्यात्मिक जीवन को महसूस करने लगा है। आपके अंदर अगर सृष्टि के सभी प्राणियों के लिए करुणा फूट रही है, तो आप आध्यात्मिक हैं।
अध्यात्म हमें जीवन में अपनी जरूरतों और इच्छाओं से अवगत कराती है। आध्यात्मिक होने का अर्थ है कि व्यक्ति अपने अनुभव के धरातल पर यह जानता है कि वह स्वयं अपने आनंद का स्रोत है। बाहरी वेशभूषा, रहन-सहन से आध्यात्मिकता का कोई लेना- देना नहीं है, क्योंकि इसका वास्तविक संबंध व्यक्तित्व की अतल गहराई से है। अध्यात्म मानव जीवन के चरमोत्कर्ष की आधारशिला है, मानवता का मेरुदंड है। इसके अभाव में अशांति एवं असंतोष की ज्वालाएं मनुष्य को घिरी रहती हैं। व्यक्ति, समाज या राष्ट्र- सबकी शांति, सुरक्षा और सुदृढ़ता का पहला साधन है आध्यात्मिक चेतना का जागरण। अध्यात्म मानव जीवन की सफलता का बहुत बड़ा आधार है। जीवन में बिना अध्यात्म के इंसान सफल नहीं हो सकता, क्योंकि इंसान को आगे बढ़ने के लिए मन में शांति और संतुष्टि का भाव होना बहुत ज़रूरी है। जो सुख और शांति इंसान बाहर ढ़ूंढता है, बल्कि वह हमारे अंदर ही मौजूद होती है, बस उसे पहचानने की देर है। आध्यात्म हमें अपनी भावनाओं और इच्छाओं को नियंत्रित करने की क्षमता देता है। आध्यात्म को पाने के लिए जिन तरीकों और बातों का पालन किया जाता है, उनसे भी हमारे जीवन में पॉज़िटिव प्रभाव पड़ता है। ये न केवल जीवन में एक नयी रोशनी का संचार करता है, बल्कि ये हमें मानसिक रूप से कठिन परिस्थितयों का सामना करने में मदद भी करता है। आध्यात्म वास्तव में समय को बेहतर तरीके से मैनेज करने में मदद करता है।
जो इस शरीर में ही रहकर परमात्मा के विराट रूप को समझ पाता है, उसे अनुभव कर पाता है वही आध्यात्मिक है और इसके लिए उसे इस भौतिक दृश्यमान जीवन से घटित होने वाले जीवन को भी अनुभव करना होगा।
आधुनिक जीवन का मतलब एक व्यस्त जीवनशैली से है जहां हर कोई जीवन के हर क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश में लगा होता है। आधुनिक जीवन में भी आध्यात्मिकता बहुत महत्वपूर्ण है। हम सब धीरे-धीरे काम के पागलपन का शिकार हो रहे हैं जिस कारण हम अध्यात्म के करीब नहीं हो पाते।आध्यात्मिकता वास्तव में तेजी से विकसित हो रहे आधुनिक जीवन को मैनेज करने और संसाधनों का सही उपयोग करने के लिए दिमाग को प्रशिक्षित करने में मदद करती है। आध्यात्मिकता हमें जीवन जीने के सही तरीके को समझने में मदद करती है।
आज मानव तनावों से घिरा रहता है ऐसे में उसे शांति का पथ अध्यात्म ही दिखा सकता है। मानव की अगणित समस्याओं को हल करने और सफल जीवन जीने के लिए अध्यात्म से बढ़कर कोई उपाय नहीं है।
-डॉ. सुनील जैन संचय
(लेखक आध्यात्मिक चिंतक व स्तम्भकार हैं)
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