आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ससंघ और आर्यिका संघ ने शुक्रवार को पारसोला से विहार किया। इस अवसर पर यहां के सकल जैन समाज ने उन्हें भावभीनी विदाई दी। आचार्यश्री ने संबोधन कर पारसोला नगर और यहां के समाजा की सराहना की। उन्होंने यहां 248 दिन प्रवास किया और धर्म प्रभावना के लिए अपने प्रवचनों से जनता को लाभान्वित किया। पढ़िए पारसोला से राजेश पंचोलिया की खबर…
पारसोला। यहां से आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने 28 जनवरी से 7 फरवरी के दौरान 248 दिवसीय प्रवास के दौरान अनेक धार्मिक अनुष्ठानों को प्रभावना पूर्वक कर शुक्रवार को मंगल विहार किया। मंगल विहार के पूर्व समाज की धर्म सभा में मंगल देशना में आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने बताया कि हमने कर्नाटक से राजस्थान की ओर मंगल विहार किया। हमने कर्नाटक से राजस्थान आने का संकल्प किया। वह भक्तों की भक्ति और पुरुषार्थ से वह कार्य सफल हुआ। हमारा संकल्प और समाज का पुरुषार्थ भक्ति से अनेक कार्य सिद्ध हो जाते हैं। राजस्थान के अतिरिक्त अन्य नगरों के लोग पारसोला की प्रशंसा करते हैं क्योंकि, पारसोला समाज में आचार्य परंपरा के प्रति भक्ति और अटूट श्रद्धा है। यह अनुकरणीय और प्रशंसनीय है। समाज में 40 से अधिक सक्रिय बालक बालिका युवा महिलाओं सभी वर्ग के मंडल हैं। यह मंडल धरातल पर समाज के हित में कार्य करते हैं, इसलिए कहा जा सकता है कि यह मंडल है। बंडल नहीं है।
मुनिश्री संघ और आर्यिका संघ ने किया विहा
पारसोला में मार्च माह में पंचकल्याणक में समाज ने अटूट श्रद्धा भक्ति से महोत्सव को सफल बनाया। समाज के उत्साह भक्ति को देखकर यह विश्वास हुआ कि पारसोला की संगठन शक्ति में बड़े से बड़े आयोजन करने की क्षमता को दृष्टिगत रख आचार्य संघ ने पारसोला चातुर्मास करने का निर्णय अनेक माह पूर्व लिया। पारसोला नगर से ब्रह्मचारी गज्जू भैया, राजेश पंचोलिया ने बताया कि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के साथ मुनिश्री चिन्मयसागर जी, श्री हितेंद्रसागर जी श्री प्रशंमसागर जी, श्री प्रभवसागर जी, श्री चिंतनसागर जी, श्री दर्शित सागर जी, श्री प्रबुद्धसागर जी, मुनि श्री मुमुक्षुसागरजी, मुनि श्री प्रणितसागरजी, आर्यिका श्री शुभमति जी, श्री शीतलमति जी, आ श्री चैत्यमति जी ,आश्री वत्सलमतिजी, श्री विलोकमति जी, ,आश्री दिव्यांशु मति जी, आश्री पूर्णिमामति जी आश्री मुदितमति जी,आ श्री समर्पितमति जी, आश्री विचक्षणमति जी आश्री निर्मुक्त मति जी, आश्री विन्रममतिजी, आश्री दर्शनामति जी, आश्री देशनामतिजी, आश्री महायशमती जी, आर्यिका श्री देवर्धिमति आश्री प्रणतमति आश्री निर्माेहमति, श्री पद्मयशमति आश्री दिव्ययश मति, आर्यिका श्री प्रेक्षामति जी, आर्यिका श्री जिनेश मति, श्री क्षुल्लक श्री विशाल सागर जी, श्री प्राप्ति सागरजी का पारसोला नगर से शुक्रवार को आहार के बाद दोपहर को विहार हुआ।
आहार चर्या श्रवण नगर में होगी
संघ का रात्रि विश्राम श्रवण नगर में हुआ। 8 फरवरी को आचार्य श्री संघ की आहार चर्या श्रवण नगर मुंगाना रोड पर होने के बाद दोपहर को विहार कर रात्रि विश्राम मुंगाना में होगा। राजस्थान के अनेक नगरों से आचार्य संघ के आगमन के लिए श्रीफल भेंटकर निवेदन प्रतिदिन किया जा रहा है। प्रतापगढ़ दिगंबर जैन समाज ने भी निवेदन किया।
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