समाचार सम्मेदशिखर

अंतर्मना शिखरजी से उतरते रहे,श्रद्धालु खुशी से झूमते रहे: भगवान महावीर के बाद सिंघ निष्क्रिडित व्रत महापारणा करने वाले महान संत


सारांश

विवादों में लाख घेरने की कोशिश करें लेकिन सम्मेद शिखरजी की पावनता को तीर्थंकरों और हमारे साधु-संतों की तपस्या फिर चमत्कृत कर देती है । महान जैन परंपरा में अंतर्मना प्रसन्न सागर जी ने सिंघ निष्क्रिड़ित व्रत का सफल महापारणा कर जैनियों के सदियों पुराने स्वर्णिम इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया । पढ़िए आँखों देखे दृश्यों के आधार पर लिखा गया ये आलेख


शिखरजी के पालकी में बिराजे अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी जैसे-जैसे नीचे आते दिखे, जैन श्रद्धालूओं का खुशी का पारावार न रहा । जैन भजनों की धुन पर थिरकते लोगों के बीच जिन धर्म और आचार्य जी और दिगंबर परंपरा के जयघोष के बीच अंतर्मना प्रसन्नसागर जी महासाधना का महापर्व मनाया गया। मधुबन स्थित पारसनाथ पर्वत पर महापारणा के दौरान संपूर्ण पारसनाथ पर्वत पर आचार्य की जयकारों की गूंज सुनाई देती रही । बच्चे,बूढ़े,महिलाएं सब आचार्य श्री की झलक पाने को बेताब दिखे । आचार्य श्री ने गुफा के बाहर सीढ़ी पर खड़े होकर महापारणा किया । वहीं कुछ देर खड़े रहने के बाद डोली के ज़रिए आचार्य श्री ने धीरे-धीरे पर्वत से नीचे उतरना शुरु किया तो उन पर पुष्पवर्षा और ढोल नगाड़ों ने उत्सव जैसा माहौल बन गया । पिछले ५५७ दिनों से उपवास और मौन साधना में रहने वाले प्रसन्न सागर जी की इस महासाधना की जानकारी देते हुए झारखंड राज्य दिगंबर जैन धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष ताराचंद जैन ने कहा कि महापारणा महोत्सव में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, फ़िलीपींस की महारानी इसाबेला,योग गुरु बाबा रामदेव, नेपाल सांसद प्रकाश मान सिंह समेत कई लोग मौजूद रहे ।

ख़ास पालकी में बिराजे महाराज

ख़ास पालकी में बिराजे आचार्य श्री का जिस तरह स्वागत हुआ वो अद्भुत नजारा था । नीचे उतरते ही मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज की पालकी सीधा अंतर्मना महापारणा महाप्रतिष्ठा आयोजन स्थल पहुंची। जहां ७० हज़ार से भी ज्यादा श्रद्धालूओं के बैठने की ख़ास व्यवस्था की । एक लाख वर्गफीट में बने भव्य पंडाल की सजावट भी ज़बर्दस्त तरीक़े से किया गया था । इसी दौरान आयोजन स्थल में ही प्रसन्न सागर जी के साथ जैन मुनि पीयूष सागर जी महाराज के साथ पन्द्रह से अधिक जैन मुनियों के बैठने की व्यवस्था की गई । अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर महाराज 557 दिन की अखंड मौन साधना और एकांतवास में रहे. पारसनाथ पर्वत की सर्वोच्च चोटी पर स्थित गुफा में 557 दिन की कठिन सिंघनिष्क्रीडित व्रत की यात्रा के दौरन उन्होंने 61 दिन की पारणा विधि यानी आहारचर्या पूरी कर 496 दिनों का निर्जला उपवास भी रखा ।

ऐसे हैं हमारे अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज

23 जुलाई 1970 को हुआ था प्रसन्न सागर महाराज जन्म, मध्य प्रदेश के छतरपुर में हुआ । उन्होंने महज 16 वर्ष की आयु में 12 अप्रैल 1986 को  ब्रह्चार्य व्रत रखा. इसके बाद 18 अप्रैल 1989 को प्रसन्न सागर महाराज ने मुनि की दीक्षा ली । उन्होंने 23 नवंबर 2019 में आचार्य पद हासिल किया. कहा जाता है कि इस तरह की कठिन व्रत की साधना जैन तीर्थंकर भगवान महावीर ने की थी.  बता दें आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज को कई उपाधियों से सम्मानित किया जा चुका है.
20 तीर्थंकरों के निर्वाण भूमि सम्मेद शिखरजी, मधुबन के मैदान में शुरू हुए आठ दिवसीय महापारना महाप्रतिष्ठा महोत्सव के पहले दिन शनिवार को जैन मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज 557 दिनों के अंतर्मना एकांतवास और मौन साधना को खत्म कर जब पारसनाथ पहाड़ से नीचे उतरना शुरू किया तो पूरा मधुबन उत्साह और खुशी से झूम उठा.

खास पालकी से नीचे उतरे जैन मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज का स्वागत पहले दिन जिस शानदार अंदाज से हुआ. वो खुद में आस्था और श्रद्धा के समागम का गवाह बना. नीचे उतरते ही मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज की पालकी सीधा अंतरमना महापारना महाप्रतिष्ठा आयोजन स्थल पहुंचा. जहां 70 हजार से भी अधिक श्रद्धालुओं के बैठने का खास व्यस्था था.

एक लाख वर्गफीट में बना भव्य पंडाल

आयोजन में सजावट भी जबरदस्त तरीके से किया गया था. इसी पंडाल में एकांतवास तोड़ कर पहाड़ से नीचे उतरे जैन मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज के लिए ही एक भव्य सिंहाशन पर बिठाया गया. इस दौरान आयोजन स्थल में ही प्रसन्न सागर जी के साथ जैन मुनि पियूष सागर जी महाराज समेत दिगंबर जैन समाज के 15 से अधिक जैन मुनि के बैठने की व्यस्था किया गया था. जबकि अलग राज्यों से आए जैन समाज के 40 हजार से अधिक के श्रद्धालुओं की भीड़ और दिगंबर जैन समाज के अधिकारी ऋषभ जैन के साथ संजय जैन मंच संचालन कर रहे थे. इस भव्य आयोजन महापारना महाप्रतिष्ठा समारोह में केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला के साथ नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री फुलमनी और नेपाल के दो सांसद भी आयोज में शामिल हुए.

मौके पर केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि उनका सौभाग्य है की संतो के महा निर्वाण भूमि में वो इतने बड़े आयोजन में शामिल हुए है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत अगर विश्व गुरु बनने के मार्ग पर है तो इसका बड़ा कारण संतो का देश को मिल रहा मार्गदर्शन है. क्योंकि पूरे विश्व में भारत का एक बड़ा पहचान संतो के कारण भी है.

जैन समाज के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल सम्मेद शिखर मधुबन को निर्वाण भूमि कहा जाता है. क्योंकि 20 तीर्थंकर के इस निर्वाण भूमि में इस आयोजन का होना भक्ति और आस्था में डूबने जैसा है. केंद्रीय मंत्री ने मौके पर मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज के कठिन तप और साधना का भी सराहना किया. जबकि एक महिला साध्वी ने इस दौरान महापारना महाप्रतिष्ठा में मौजूद भक्तो को जैन मुनि प्रसन्न सागर जी का शपथ भी कराया गया.

आप को यह कंटेंट कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
+1
10
+1
1
+1
0

About the author

Shreephal Jain News

Add Comment

Click here to post a comment

× श्रीफल ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें