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आगमों का निचोड़ निकालकर आचार्य श्री विशुद्ध सागर ने लिखा सत्यार्थ बोध

  • तांबे की 5 करोड़ प्लेट पर लिख रहे सवा लाख ग्रंथ जो 5000 साल तक लोगों को दिखाएंगे धर्म की राह
  • 1000 साल की लाइफ शीशम से बने बॉक्स की

रायपुर । जैन धर्म के हजारों साल प्राचीन साहित्यों का निचोड़ निकालकर आचार्य विशुद्ध सागर ने 400 पन्नों का सत्यार्थ बोध ग्रंथ लिखा है। इसमें नीति, धर्म और आचार-व्यवहार पर आधारित 14 अध्याय लिखे गए हैं। दिगंबर जैन समाज ने उनकी इस रचना को घर-घर तक पहुंचाने का निर्णय लिया है। इसके लिए 5 करोड़ ताम्र पत्रों पर सवा लाख ग्रंथ छपवाए जा रहे हैं।

मुंबई में रहने वाले बाल ब्रह्मचारी अक्षय जैन ने बताया कि जैन धर्म के ज्यादातर धार्मिक साहित्य प्राकृत, मगधी जैसी भाषाओं में लिखे गए हैं। आचार्य विशुद्ध सागर ने इनकी प्रमुख बातों को ताम्र पत्रों पर बहुत ही सरल शब्दों में लिखकर सत्यार्थ बोध ग्रंथ की रचना की है। उन्हीं की तर्ज पर हम भी ताम्र पत्र पर ग्रंथ प्रकाशित करवा रहे हैं। इससे उनकी रचना हमेशा के लिए संरक्षित हो जाएगी और आने वाली कई पीढ़ियों तक समाज का मार्गदर्शन करेगी। उन्होंने बताया कि ताम्र पत्र पर लिखे गए ग्रंथ कम से कम 5 हजार साल तक सुरक्षित रहते हैं।

पुरुषार्थ देशणा का मुख्यमंत्री ने किया था विमोचन
आचार्य विशुद्ध सागर ने ताम्र पत्र पर एक और ग्रंथ की रचना की है। इसका नाम पुरुषार्थ देशणा है। इसमें अच्छे-बुरे कर्मों के साथ भवसागर से तरने के लिए जरूरी पुरुषार्थ के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। 15 जुलाई को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फाफाडीह के सन्मति नगर में चातुर्मासिक प्रवचन के लिए बने विशाल डोम में इसका विमोचन किया था।

1 ग्रंथ 5 किलो का, सवा लाख बनाने करोड़ों खर्च

सत्यार्थ बोध ग्रंथ की सवा लाख कॉपी बनाने का काम मेरठ में किया जा रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक समाज को एक ग्रंथ बनवाने में हजारों रुपए का खर्च आ रहा है। इस हिसाब से सवा लाख ग्रंथ की लागत करोड़ों रुपए हो जाएगी। यह राशि बहुत ज्यादा है। ऐसे में समाज ने काम को पूरा करने के लिए 5 साल का लक्ष्य रखा है। अभी समाज के कुछ बड़े उद्योगपति और कारोबारी इस नेक काम में हाथ बटाने के लिए आगे आए हैं।

सत्य का बोध कराता है ग्रंथ इसलिए नाम भी यही

प्रियेश जैन ने बताया कि जिनवाणी और जैन साहित्यों में लिखी बातें सबके समझ नहीं आती। आचार्यश्री ने इन्हें बहुत ही सरल शब्दों में लिखा है। इसका नाम सत्यार्थ बोध इसीलिए रखा गया है क्योंकि यह सत्य का बोध कराता है। इसमें बताया गया है कि आदर्श जीवन कैसा हो? व्यक्ति को घर-परिवार, समाज और धर्म में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसे पढ़ने वाला व्यक्ति जीवन में कभी असफल नहीं हो सकता।

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About the author

तुष्टी जैन, उपसंपादक

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