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पंचकल्याणक : आदिनाथ धाम त्रिकाल चौबीसी का पंचकल्याणक महा महोत्सव एवं विश्वशांति महायज्ञ चलेगा 17 से 23 फरवरी तक


पंचकल्याणक महोत्सव आचार्य विद्यासागर जी महाराज के मंगल आशीष एवं निर्यापक श्रमण मुनि श्री 108 सुधा सागर जी महाराज के सानिध्य में होगा। निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ने अपने प्रवचनों के माध्यम से धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिस रास्ते पर सज्जन लोग जाते हैं, वह रास्ता सज्जनों का रास्ता होता है। पढ़िये राजीव सिंघई मोनू की विशेष रिपोर्ट… 


टीकमगढ़। टीकमगढ़ शहर में स्थित आदिनाथ धाम त्रिकाल चौबीसी का पंचकल्याणक महा महोत्सव एवं विश्वशांति महायज्ञ दिनांक 17 फरवरी से 23 फरवरी तक होने जा रहा है। यह महोत्सव आचार्य विद्यासागर जी महाराज के मंगल आशीष एवं निर्यापक श्रमण मुनि श्री 108 सुधा सागर जी महाराज के सानिध्य में होगा। कार्यक्रम के प्रतिष्ठाचार्य पंडित प्रदीप भैया जी सुयश होंगे। पंचकल्याणक महोत्सव के मीडिया संयोजक प्रदीप जैन बम्होरी ने बताया कि मुनि श्री सुधासागर जी महाराज मंगलवार को प्रात: 8:00 बजे नंदीश्वर कॉलोनी में बने मंच पर विराजमान हुए। दीप प्रज्ज्वल एवं चित्र अनावरण का कार्य संपन्न हुआ। पात्र चयन कार्यक्रम का संचालन अमित शास्त्री जबलपुर वालों की ओर से किया गया।

निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ने अपने प्रवचनों के माध्यम से धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिस रास्ते पर सज्जन लोग जाते हैं, वह रास्ता सज्जनों का रास्ता होता है, दुर्जनों के तो कई रास्ते होते हैं। आज पंचकल्याणक के पात्रों के चयन का अवसर है आप लोगों में से इस पंचकल्याणक के पात्रों का चयन होने वाला है। मुनि श्री ने कहा कि पाषाण को उठाकर मूर्ति बनने में पत्थर का पुण्य नहीं होता है। यह मूर्ति भक्तों के पुण्य उदय के कारण बनती है। पत्थर का पुण्य नहीं है कि वह मूर्ति बन जाए। जब तक हमारा पुण्य नहीं होगा पत्थर मूर्ति नहीं बन पाएगा, जो भगवान बने हुए हमारे पुण्य से बने आज हमारा पुण्य इतना प्रबल है कि हम पाषाण को भगवान बनाने जा रहे हैं।

मुनि श्री ने कहा कि भगवान बनने का पुण्य अलग है। भगवान की प्रतिष्ठा नहीं भक्तों के पुण्य की प्रतिष्ठा होने जा रही है। यह किसी पत्थर पर नहीं लिखा होता किस पत्थर से भगवान बनेंगे, यह तो भक्तों की भक्ति का प्रतिफल है। आज पंचकल्याणक महा महोत्सव के पात्रों का चयन का दिन है। पंचकल्याणक महोत्सव में पात्रों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सोमवार को भगवान के माता-पिता का चयन मुनि श्री के सानिध्य में हुआ। भगवान के माता-पिता बनने का परम सौभाग्य श्रीमती पुष्पा देवी, गुलाबचंद जैन बंधा जी वालों को प्राप्त हुआ। मंगलवार को पंचकल्याणक के पात्रों का चयन किया गया। सौधर्मेंद्र बनने का सौभाग्य जिनेंद्र ककडारी वालों को प्राप्त हुआ, कुबेर विमल जैन , महा यज्ञ नायक रमेश चंद्र जैन, भरत चक्रवर्ती एवं बाहुबली बनने का सौभाग्य संजय जैन एवं राजीव जैन को प्राप्त हुआ, ईशान इंद्र बनने का सौभाग्य अशोक जैन सानत इंद्र बाल चंद जैन, माहेंद्र शील चंद जैन, राजा श्रेयांश बनने का सौभाग्य लुईस चौधरी, राजा सोम बनने का सौभाग्य विमल जैन मूलनायक आदिनाथ भगवान की प्रतिमा का सौभाग्य राजकुमार जैन यज्ञ नायक एवं विधि नायक बनने का सौभाग्य राजीव जैन को प्राप्त हुआ।

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