मुनिसुवतनाथ दिगम्बर जैन पंचायत की ओर से आयोजित मोक्ष मार्ग आरोहण समारोह के तहत रविवार को दीक्षार्थी ब्रह्मचारी भैया आदेश्वर पंचौरी धरियावद द्वारा श्री जिनेंद्र भगवान का पंचामृत अभिषेक एवं पूजन किया गया। विस्तार पढ़िए किशनगढ़ से श्याम पाठक की रिपोर्ट
महोत्सव के तहत रविवार को आचार्य वर्धमान सागर महाराज के ससंघ सान्निध्य में आरके कम्यूनिटी सेंटर में दीक्षार्थी द्वारा गणघर वलय विधान की पूजन की गई। विभिन्न कार्यक्रम अंतर्गत विधान के बाद दीक्षार्थी परिवार एवं सकल दिगंबर जैन समाज द्वारा वीर संगीत मंडल सुर मधुर लहरियो पर आचार्य श्री के चरण प्रक्षालन एवम् पूजन की गई। कार्यक्रम में आचार्य श्री के मंगल प्रवचन हुए। वहीं जैनेश्वरी दीक्षा सूरज देवी पाटनी सभागृह में 13 फरवरी को होगी।अध्यक्ष विनोद पाटनी एवं मंत्री सुभाष बड़जात्या ने बताया कि
आचार्यश्री का पूजन व भजन संध्या आज सकल दिगम्बर जैन समाज व मुनिसुव्रतनाथ दिगम्बर जैन पंचायत की ओर से आयोजित हुआ। मोक्ष मार्ग आरोहण समारोह (जैनेश्वरी दीक्षा) के तहत 12 फरवरी को दोपहर 1 बजे आरके कम्यूनिटी में वृहद् प्रत्याख्यान, दोपहर 2 बजे गणधर वलय विधान,पंडित श्री कुमुद जी सोनी प्रतिष्ठा चार्य के निर्देशन में किया गया।
जैन वीर संगीत मंडल की प्रस्तुति विधान और आचार्य श्री की संगीत मय पूजन श्री दिगंबर जैन वीर संगीत मंडल ने प्रस्तुत दी । आचार्यश्री पूजन और आचार्य श्री वर्धमान सागर महाराज के आशीर्वचन हुए। प्रचार मंत्री गौरव पाटनी राजेश पंचोलिया इंदौर अनुसार आचार्य श्री का मार्मिक अनुकरणीय प्रवचन हुआ।
वैराग्य मार्ग जीवन को सार्थक करने में कार्यकारी,दीक्षा मानव जीवन का सर्वश्रेष्ठ महोत्सव – आचार्य श्री वर्धमान सागर जी
किशनगढ़ में कुछ दिनों पूर्व पंचकल्याणक प्रतिष्ठा संपन्न हुई। उसमें तीर्थंकर भगवान के दीक्षा कल्याणक का अवसर भी आपने नाटक रूप में देखा । उसी दीक्षा कल्याणक के दिन आदेश्वर जी ने दीक्षा हेतु श्रीफल चढ़ाकर निवेदन किया। मनुष्य जीवन प्राप्त करने के बाद व्यक्ति अपने गृहस्थ जीवन संबंधी नियम धर्म का पालन करते हुए इस मार्ग पर शरीर से भागों से विरक्ति होने व्यक्ति दीक्षा धारण करता है। आदिनाथ भगवान से लेकर महावीर स्वामी तक तीर्थंकर प्रभु के माध्यम से दिव्य देशना हमें प्राप्त होती है। दीक्षा महोत्सव मानव धर्म का सर्वश्रेष्ठ महोत्सव है। गणघर प्रभु की पूजा आराधना की जाती है जिन्होंने इस पद को अनेक भव के भ्रमण के बाद प्राप्त कर गणधर बने हैं भगवान महावीर स्वामी केवल ज्ञान प्राप्त करके भी मौन थे, क्योंकि गणधर नहीं थे। भगवान की देशना से प्राप्त श्रुत की रचना आचार्य परमेष्ठी के माध्यम से होती है। तीर्थंकर भगवान ही श्रुत जिनवाणी के जन्मदाता प्रकट करने वाले हैं। तीर्थंकर की वाणी को गणधर ग्रहण कर आप सब को बताते हैं ।आप सभी सौभाग्यशाली हैं आपने ऐसे कुल में जन्म लिया है जहां तीर्थंकर गणधर, पंच परमेष्ठी की आराधना इस मानव कुल से कर सकते हैं। जो भव्य जीव गुरुजनों का सानिध्य प्राप्त कर जीवन को सार्थक करते हुए सकल संयम रूपी दीक्षा धारण करते हैं । वह मानव जीवन को सार्थक करने का पुरुषार्थ करते हैं ।संयमी जीवन का अर्थ यह होता है कि अपने जीवन में प्राप्त होने वाली बाधा को सहन कर सके ।आचार्य कल्प श्री श्रुत सागर जी कहते थे साधु के 22 बाइस परिषह होते हैं आप गृहस्थ जीवन जी रहे हैं आप बाइस से ज्यादा 22000 कष्ट सहन करते हैं ।वैराग्य का मार्ग ही जीवन को सार्थक करने में कार्यकारी होता है ।आज दीक्षार्थी ने गणघर पूजन में अनेक रिद्धि यो की पूजन की है। दीक्षार्थी आदेश्वर जी ने अनेक पूर्व आचार्य श्रेष्ठ गुरुओं का सानिध्य से संस्कार प्राप्त किया है गुरुदेव का सानिध्य प्राप्त कर संस्कारित जीवन जीना चाहिए ।भगवान के प्रति गुरु के प्रति विनय और श्रद्धा भक्ति होना चाहिए विनय और श्रद्धा से आप जीवन को सार्थक कर सकते हैं ।
12 फरवरी को सांय 7.30 बजे से सूरजदेवी पाटनी सभागार में भजन संध्या में भजन गायक अजित पांड्या एण्ड पार्टी द्वारा समधुर भजनों की प्रस्तुतियां दी गई। 13 फरवरी को सुबह 10 बजे से आचार्यश्री वर्धमान सागर के सान्निध्य में दीक्षा समारोह सूरजदेवी पाटनी सभागार में आयोजित होगा। दीक्षार्थी श्रावक आदेश्वर पंचौरी धरियावद का होगा केश लोचन वात्सल्य वारिधि आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज द्वारा किए जावेगे। जैनेश्वरी दीक्षा संस्कार मस्तक किया जाएगा। महोत्सव के दौरान विभिन्न क्षेत्रों से जैन समाज के लोग उमड़ें।
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