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एक संत-‘अरिहंत’ सा जो इस सदी की महान विभूति के रूप में वंदित हैं: आचार्यश्री विद्यासागर जी के सानिध्य का किया स्मरण


तमिलनाडु की प्राचीन भूमि पर श्री क्षेत्र अरिहंत गिरी में भट्टारक स्वस्ति श्री धवल कीर्ति स्वामी जी ने आचार्यश्री के सानिध्य में गुजारे समय को याद करते हुए उन्हें स्मरणांजलि अर्पित की। गुरुकुल के बच्चों ने आचार्यश्री का पूजन और आरती की। आचार्यश्री के कल्याणकारी संदेशों को भी याद किया गया। पढ़िए अरिहंत गिरी से यह खबर…


अरिहंतगिरी तमिलनाडु। संत शिरोमणि आचार्य प्रवर श्री विद्यासागर जी महामुनिराज का प्रथम समाधि दिवस तमिलनाडु की 2 हजार साल प्राचीन पावन भूमि श्री क्षेत्र अरिहंतगिरी में भट्टारक चिंतामणि स्वस्ति श्री धवलकीर्ति स्वामी जी और विचार पट्ट भट्टारकश्री प्रमेयसागरजी स्वामी के सानिध्य में भक्ति पूर्वक मनाया गया। क्षेत्र में गुरुकुल के बच्चों ने गुरु पूजा कर आरती की। स्वामी जी ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमने ऐसे महान आचार्य की सदी में जन्म लिया।

आचार्यश्री की निश्रा में 5 साल आगम सिद्धांतों की शिक्षा प्राप्त की: श्री धवलकीर्तिजी

इस अवसर पर पूज्यश्री धवलकीर्तिजी स्वामी ने आचार्य श्री विद्यासागर जी कीे निश्रा में 5 साल आगम सिद्धांतों की शिक्षा प्राप्त करने वाले दिनों को याद करते हुए कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हमें उनके पास रहकर शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिला। अनेकों आत्माओं का कल्याण आचार्य श्री ने किया है। ऐसे महान संत के चित्र के समक्ष हम सब सविनय विनयांजलि समर्पित करते हैं।

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