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वैराग्य पाठ उनसे सीखों, जिसके अंदर आत्मानुशासन होः संगम नगर में विराजमान मुनिश्री प्रमाण सागरजी


मुनिश्री ने कहा ‘आत्मविश्वास‘ और आत्म नियंत्रण आपको लौकिक जगत में भी सफलता दिलाता है और आध्यात्म को भी मजबूत करता है, जिसका अंदर से सेल्फ कान्फीडेंस मजबूत होता है, वही व्यक्ति आत्मा पर विश्वास घटित कर सकता है। उपरोक्त उदगार अपने प्रवचन में मुनिश्री प्रमाण सागरजी महाराज ने संगम नगर में प्रातः कालीन धर्मसभा में व्यक्त किये। पढ़िए इंदौर की यह पूरी खबर…


इंदौर। आत्मविश्वास से भरा व्यक्ति ही आत्मसंतोष के साथ जीवन जीता है तथा आत्मानुशासन रख सदाबहार प्रसन्न रहता है – मुनिश्री प्रमाण सागरजी महाराज ने आज संगम नगर में अपने प्रवचन में कहा कि जिस व्यक्ति के जीवन में ये चार बातें आ गई वो हमेशा खुश रहेगा। ये है आत्म संयम, आत्म संतोष, आत्मविश्वास और सेल्फ डिसिप्लिन। आपने कहा कि अपने आवेग और संवेग पर नियंत्रण रखो, जब कभी आप लौकिक जगत में कोई कार्य करते हो तो जिस व्यक्ति के अंदर सेल्फ कान्फीडेंस होता है वह हमेशा सफल होता है।

आत्मविश्वास एक आध्यात्मिक दृष्टि रुप में हों

उसी प्रकार आध्यात्मिक जगत है यदि आप अपना जीवनोत्थान करना चाहते हो तो आपके अंदर आत्मविश्वास एक आध्यात्मिक दृष्टि के रुप में होंना चाहिये। ‘मैं एक चैतन्य, शुद्ध आत्मा हूँ राग द्वैष, काम, क्रोध, माया लोभ, आसक्ती, तथा अभिमान मेरा स्वभाव नहीं, मेरा स्वभाव तो अपनी आत्मा में रमने का है। जब यह दृष्टि हमारी केन्द्रित हो जाएगी तभी हम अपनी चेतना को पुरस्कृत कर सकते है। ‘मैं ज्ञानदर्शन लक्षण युक्त आत्मा हूँ मुझसे भिन्न संसार में कोई नहीं है, मैं अजर-अमर अविनाशी हूँ, मेरा कोई कुछ बिगाड़ नहीं कर सकता‘ जब यह बात आपके अंदर प्रकट हो जाती है कि मेरी ‘आत्मा‘ का एक प्रदेश भी कोई इधर से उधर नहीं कर सकता तो आपके अंदर एक शक्ति प्रकट होती है।

न कुछ खोना है और न कुछ पाना है 

संत कहते है कि यहॉ पर न कुछ खोना है और न कुछ पाना है, इस सच को झूठलाने में ही पूरा जीवन खपा देते हैं, आध्यात्मिक सोच जिसके अंदर प्रकट हो जाती है, वह कभी अनुकूल तथा प्रतिकूल संयोग से विचलित नहीं होता उसके अंदर ‘आत्मसंतोष‘ आ जाता है। मुनिश्री ने कहा कि ‘न भूत की स्मृति न अनागत की अपेक्षा, भोगों को भोग मिलने पर की हो उपेक्षा‘ ज्ञानीजनों को यह विषय भोग विष दिखते है, वैराग्य पाठ उनसे हम सीखते है। जिसके अंदर आत्मानुशासन होता है। उसके अंदर आत्मविश्वास जागृत होता है वह आत्म नियंत्रण कर आत्मसंतोष और आत्मानुशासन के साथ अपना जीवन आनंद से भर लेता है। इस अवसर पर मुनिश्री निर्वेग सागरजी महाराज, मुनिश्री संधान सागरजी महाराज सहित समस्त क्षुल्लकगण मंचासीन थे।

शंका समाधान, आहारचर्या, पाद प्रक्षालन व मंगलाचरण हुआ

कार्यक्रम का संचालन बाल बह्मचारी. अभय भैया ने किया। दिगंबर जैन समाज सामाजिक संस्था के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि मुनि संघ संगम नगर में विराजमान है, सायंकाल शंका समाधान 5.45 बजे तथा रात्री विश्राम यहीं रहेगा। 10 जनवरी को प्रातः मुनि स़ंघ का मंगल विहार मोदीजी की नसिया की ओर होगा, प्रवचन 9 बजे से तथा आहारचर्या यही से संपन्न होगी। अविनाश जैन ने बताया कि भोपाल के टी.टी. नगर कमेटी के सदस्यों ने संगम नगर में पधार कर मुनि संघ के समक्ष श्रीफल अर्पित किये। अतिथियों ने दीप प्रज्वलन किया। मुनिश्री के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य प्रमोदजी-रेशुजी को मिला। प्रारंभ में मंगलाचरण नृत्य धरा जैन एवं अवनी जैन के द्वारा किया गया ।

पदाधिकारियों की उत्साहपूर्वक योगदान 

इस अवसर पर धर्म प्रभावना समिति के महामंत्री हर्ष जैन, संगम नगर जैन समाज के अध्यक्ष अजय जैन, सचिव राकेश सेठी, दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के सतीश जैन, कमलेश सिंघई, मनोज जैन, मोदीजी की नसिया के योगेंद्र काला, नीरज मोदी, कमल काला, पारस पांड्या आदि उपस्थित थे। मुनिश्री को आहार करवाने का सौभाग्य डॉ प्रदीप बांझल, अमित जैन एवं रमेश चंद जैन बंडा वालों को प्राप्त हुआ। क्षुल्लक महाराजों को आहार कराने का सौभाग्य श्री नवीन जैन सिलवानी, लखमी चंदजी जैन, और ऋषभ जैन केसली वालों को प्राप्त हुआ।

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