जैन समाज के तीर्थों पर हो रहे अवैध कब्जे रोकने, धर्म स्थलों पर सुरक्षा के इंतजाम करने और कब्जेधारियों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई के लिए सहारनपुर के सांसद इमरान मसूद ने संसद में आवाज बुलंद की है। पढ़िए संसद में उठाए मुद्दे की संपूर्ण जानकारी टी के वेद वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राजेश जैन दद्दू की इस खबर में…
इंदौर। सहारनपुर के सांसद इमरान मसूद ने संसद पटल पर जैन समाज की सबसे अमूल्य धरोहर तीर्थ क्षेत्र गिरनार जी की सुरक्षा के इंतजाम करने की बात कही।
टी के वेद वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि सांसद इमरान मसूद ने कहा कि आज मैं सदन का ध्यान एक अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। यह न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि अल्पसंख्यक जैन समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर और अधिकारों की सुरक्षा का भी प्रश्न है।
जैन धर्मावलंबियों की श्रद्धा और आस्था का केंद्र
सांसद मसूद ने बताया कि गुजरात के जूनागढ़ जिले में स्थित पवित्र गिरनार पर्वत भारत के प्राचीनतम धर्म, जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ की मोक्षस्थली है। भगवान नेमिनाथ की निर्वाण भूमि है। जिसे सदियों से जैन धर्मावलंबी श्रद्धा और आस्था से पूजते आए हैं। वहां जबरन कब्जा किया जा रहा है।
इतिहास प्रमाणित करता है कि…
अकबरनामा जैसे प्रतिष्ठित ऐतिहासिक ग्रंथ, ब्रिटिश कालीन रिपोर्ट्स, एएसआई रिपोर्ट्स और अन्य ऐतिहासिक दस्तावेज यह साबित करते हैं कि गिरनार पर्वत जैन धर्म का बेहद प्राचीन तीर्थस्थल है। इस विषय में गुजरात हाईकोर्ट ने भी निर्देश दिया है कि जैन धर्मावलंबी वहां शांति से पूजा-अर्चना कर सकते हैं। इसके बावजूद अपने आराध्य देव की निर्वाण स्थली पर दर्शन करने के लिए जाने वाले जैन मुनियों और जैन श्रद्धालुओं के साथ वहां पांचवी टोंक पर अवैध कब्जा किए लोग बदतमीजी और मारपीट तक करते हैं।
मुनियों पर भी हुए जानलेवा हमले
अतीत में जैन मुनियों पर चाकू से जानलेवा हमले और अपमानित किए जाने की घटनाएं सामने आई हैं। 1991 में पारित उपासना स्थल कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 के बाद किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति में बदलाव नहीं किया जा सकता लेकिन, कानून का उल्लंघन करते हुए कोराना काल में एक रात में चुपचाप वहां पर अन्य धर्म की मूर्ति स्थापित करा दी गई। गिरनार में जैन तीर्थस्थल को बिना वजह विवादों में घसीटा जा रहा है।
धर्म निरपेक्षता पर है सवाल
सांसद मसूद ने बताया कि जैन समुदाय, जो देश का एक शांतिप्रिय और अल्पसंख्यक वर्ग है। उनके साथ इस प्रकार का अन्याय हमारी लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष व्यवस्थाओं पर प्रश्नचिह्न लगाता है। स्थानीय जूनागढ़ प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता के कारण ही ऐसे तत्वों के हौसले बुलंद हैं।
तीर्थ स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित हो
सदन के माध्यम से मांग की गई कि अल्पसंख्यक जैन समाज के पवित्र तीर्थ स्थलों गिरनार जी, शिखरजी, पालिताना जी और अन्य जैन तीर्थस्थलों की पवित्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘जैन तीर्थस्थल संरक्षण बोर्ड’ बनाया जाए। 1991 के उपासना स्थल कानून का सख्ती से पालन किया जाए।
कब्जाधारियों पर हो सख्त कार्रवाई
धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों पर कब्जा करने वाले असामाजिक तत्वों और इसमें शामिल प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। भारत विविधताओं में एकता का देश है। यहां हर समुदाय और हर धर्म का सम्मान होना चाहिए। जैन समाज जो अहिंसा और शांति का प्रतीक है को न्याय दिलाना और उनकी आस्थाओं की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।
जैन समाज ने सांसद का आभार जताया
भारत वर्षीय जैन समाज ने सांसद के प्रति आभार प्रकट किया है। इंदौर दिगम्बर जैन समाज के वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. जैनेंद्र जैन, महावीर ट्रस्ट के अध्यक्ष अमित कासलीवाल, तीर्थ रक्षणी महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष टीके वेद, विश्व जैन संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय जैन, मयंक जैन, हंसमुख गांधी, आजाद जैन, प्रदीप बडजात्या, अशोक मेहता, कांतिलाल बम, राजीव जैन, सुशील पांड्या, पुष्पा कासलीवाल, परवार समाज महिला संगठन की अध्यक्ष मुक्ता जैन, सारिका जैन, कल्पना परवार, सीमा रावत आदि ने सांसद का आभार जताया है।
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