इलाहाबाद कांग्रेस सांसद उज्जवलरमन सिंह ने 16 दिसंबर को लोकसभा की कार्रवाई के दौरान भगवान नेमिनाथ की मोक्ष स्थली गिरनारजी में सुरक्षा बंदोबस्त का मुद्दा उठाया। सांसद ने अल्पसंख्यक जैन समुदाय पर बार-बार किए जा रहे प्रहार को रोके जाने की बात पुरजोर तरीके से उठाई। पढ़िए इंदौर से टीके वेद की इस खबर में…
इंदौर। इलाहाबाद से कांग्रेस सांसद उज्जवल रमनसिंह ने सोमवार को संसद की कार्रवाई के दौरान लोकसभा में जैन धर्म के 22वें जैन तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान मोक्षस्थल गिरनार जी की पांचवी टोंक पर जैन समाज के सुरक्षित दर्शन-पूजन के लिए सुरक्षा बंदोबस्त किए जाने का मुद्दा प्रमुखता से उठाया है। उनके इस कदम का सकल जैन समाज ने स्वागत करते हुए उनका आभार जताया है। विश्व जैन संगठन ने इस बारे में कहा कि यह मुद्दा आस्था और श्रद्धा से जुड़ा होकर जैन धर्म और अनुयायियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके बारे में लोकसभा में आवाज उठाई जाना वास्तव में गौरव की बात है। संसद में नेमिनाथ भगवान की मोक्ष स्थली गिरनार का प्रकरण गूंजने से जैन समाज में भी हर्ष व्याप्त है।
राज्यसभा सांसद रेवती रमन ने भी उठाया था मुद्दा
श्री सम्मेद शिखर जी का प्रकरण सबसे पहले संसद में तत्कालीन राज्यसभा सांसद कुंवर रेवती रमन सिंह ने 29 मार्च 2022 को उठाया था। व 16 दिसंबर 24 को उनके पुत्र उज्ज्वल रमन सिंह ने 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान की मोक्ष स्थली गिरनार पर्वत पर जैन अनुयायियों के दर्शन पूजन-वंदन के अधिकारों को सुरक्षित और संरक्षित रखने का मुद्दा संसद में उठाया है। जैन समाज आप दोनों पिता-पुत्र का सदैव आभारी रहेगा। जैन समाज के वरिष्ठजनों ने कहा कि आपके पिता सांसद रेवतीरमण सिंह ने राज्य सभा में सम्मेद शिखर जी की पवित्रता के संरक्षण के लिए जैन समाज की मांग को रखा था।
समुदाय विशेष की आस्था पर प्रहार
उज्जवल रमनसिंह ने संसद की लोकसभा की कार्रवाई के दौरान कहा कि महोदय मैं आपके माध्यम से सरकार का ध्यान जैन समुदाय के पवित्र पूज्य स्थल गिरनार पर्वत की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। महोदय, जैन समाज अति अल्पसंख्यक है। जैन समाज का हमेशा से ही राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान रहा है। जैन धर्म के अनुयायियों पर किसी न किसी रूप में प्रहार किया जा रहा है। गिरनार पर्वत की पांचवी टोंक, जो कि जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान की मोक्ष स्थली है। वहां पर भगवान नेमिनाथ के मोक्ष कल्याणक दिवस पर जो इस वर्ष 13 जुलाई को था। उस दिन भी जैन समाज के लोगों को निर्वाण लाडू चढ़ाने से रोका गया था। भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष जंबूप्रसाद जैन के नेतृत्व में मिले प्रतिनिधिमंडल में मेरठ निवासी सुदीप जैन, जिन्होंने श्री सम्मेद शिखर बचाओ आंदोलन में भी अहम भूमिका निभाई थी, ने बताया कि पांचवी टोंक की पहाड़ी के द्वार पर जैन यात्रियों को चिन्हित करके आतंकियों की तरह तलाशी ली गई है कि वे अपने साथ चावल, बादाम आदि पूजा-अर्चना की सामग्री और लाडू तो नहीं ले जा रहे हैं? जैन यत्रियों को पूजन सामग्री ले जाने से रोका गया और पांचवी टोंक पर नेमिनाथ भगवान का जयकारा लगाने से भी रोका जा रहा है।
न्यायालय के आदेश की की जा रही अवहेलना
जैन अनुयायिओं के साथ मारपीट और गाली गलौच तक की जाती है। क्या यह जैन समाज के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं है? क्या यह उच्च न्यायालय के 17 फरवरी 2005 के आदेशों की अवमानना नहीं है?
जैन बोर्ड की स्थापना की जाए।
उन्होंने आगे कहा कि मैं आपके माध्यम से सरकार से पुरजोर अपील करता हूं कि गिरनार जी पर जैन अनुयायियों के दर्शन, पूजन, वंदन के अधिकारों को सुरक्षित और संरक्षित करने के साथ ही उच्च न्यायालय के 17 फरवरी 2005 के आदेशों का अनुपालन भी कराया जाए तथा तत्काल प्रभाव से जैन समुदाय के धर्म, तीर्थ और संस्कृति को संरक्षित और सुरक्षित करने के लिए जैन बोर्ड की स्थापना की जाए।
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