चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान राम का जन्म हुआ था। भारतीय संस्कृति में इस दिन का अपूर्व पुण्य माना जाता है। इस दिन सरयू नदी में स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत, दान और पूजा करने से पुण्य लाभ मिलेगा। इस दिन विशेष संयोग भी बन रहा है। मुरैना से पढ़िए मनोज जैन की यह खबर…
मुरैना। चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को कौशल्या की कोख से पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म हुआ था। भारतीय जीवन में यह दिन पुण्य पर्व माना जाता है। इस दिन पुण्य सलिला सरयू नदी में स्नान करके लोग पुण्य लाभ कमाते हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ.हुकुमचंद जैन ने बताया कि इस साल रामनवमी 6 अप्रैल रविवार को मनाई जाएगी और इस दिन सुकर्मा योग, रवि योग, रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि और पुष्य नक्षत्र का संयोग है। रविवार और रविपुष्य नक्षत्र के कारण इस बार रविपुष्य योग बन रहा है। इसलिए इस बार राम नवमी खास है। साथ ही दान और पूजा का बहुत फल मिलेगा। इस साल अष्टमी तिथि 5 अप्रैल शनिवार शाम को 7.26 मिनट तक रहेगी और इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी। इसलिए उदया तिथि को नवमी तिथि होने के कारण 6 अप्रैल राम नवमी मनाई जाएगी। जैन ने कहा नवमी के इस व्रत को करने से हमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित्र के आदर्शों को पहचाने का अवसर मिलता है। हमें उन आदर्शों को अपनाना चाहिए। भगवान की गुरु सेवा, जाति, पाति का भेदभाव मिटाना, शरणागत की रक्षा करना, भाइयों का प्रेम, मातृ-पितृ भक्त, एक पत्नी व्रत, पवनसुत हनुमान तथा अंगद की स्वामी भक्ति, गिद्धराज की कर्तव्यनिष्ठता तथा केवट आदि के चरित्रों की महानता को हमें पढ़ना चाहिए और उसका अनुसरण करना चाहिए।
रामनवमी पूजन मुहूर्त
रामनवमी पूजा अनुष्ठान आदि करने हेतु मध्यान्ह का समय सर्वाधिक शुभ होता है। मध्यान्ह काल 6 घटी अर्थात लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक रहता है। मध्यान्ह के मध्य का समय श्रीराम जी के जन्म के क्षण को दर्शाता है तथा मंदिरों में इस क्षण को भगवान श्रीराम के जन्म काल के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान भगवान श्रीराम के नाम का जाप और जन्मोत्सव अपने चरम पर होता है। पूजन मुहूर्त रामनवमी मध्यान्ह समय में 11.08 बजे से दोपहर 1.36 बजे तक इसका कुल समय 2 घंटे 28 मिनट। रामनवमी मध्यान्ह का क्षण दोपहर 12.22बजे रहेगा।
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