दोहों का रहस्य समाचार

दोहों का रहस्य -81 बाहरी संसार केवल एक माया है, जो हमें असली सत्य से दूर रखती है : सच्ची शांति और वास्तविक ईश्वर-भक्ति अपने भीतर देखने से मिलती है


दोहे भारतीय साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा हैं, जो संक्षिप्त और सटीक रूप में गहरी बातें कहने के लिए प्रसिद्ध हैं। दोहे में केवल दो पंक्तियां होती हैं, लेकिन इन पंक्तियों में निहित अर्थ और संदेश अत्यंत गहरे होते हैं। एक दोहा छोटा सा होता है, लेकिन उसमें जीवन की बड़ी-बड़ी बातें समाहित होती हैं। यह संक्षिप्तता के साथ गहरे विचारों को व्यक्त करने का एक अद्भुत तरीका है। दोहों का रहस्य कॉलम की 81वीं कड़ी में पढ़ें मंजू अजमेरा का लेख…


बाहर क्या दिखलाई है, अंदर जपिए राम

कहा काज संसार से तुझे धनी से काम


इस पंक्ति में कबीर जी कहते हैं कि बाहरी दुनिया के दिखावे में पड़कर मनुष्य अपना समय व्यर्थ न गवाएं। भौतिक जगत में जो कुछ भी दिखाई देता है, वह नाशवान है। सच्चा सुख और शाश्वत सत्य व्यक्ति के भीतर निवास करता है, जिसे राम (परमात्मा) का स्मरण करके अनुभव किया जा सकता है।

 

बाहरी संसार केवल एक माया है, जो हमें असली सत्य से दूर रखती है। अतः व्यक्ति को ध्यान और आत्मचिंतन के माध्यम से अपने अंदर झांकना चाहिए, क्योंकि परमात्मा बाहरी वस्तुओं में नहीं, बल्कि आत्मा के भीतर बसते हैं।

“कहा काज संसार से, तुझे धनी से काम”

इस पंक्ति में कबीर जी समझाते हैं कि मनुष्य का असली उद्देश्य सांसारिक वस्तुओं के पीछे भागना नहीं, बल्कि परमात्मा (धनी) की शरण में जाना है। सांसारिक इच्छाएँ और लालसाएँ कभी समाप्त नहीं होतीं, वे मनुष्य को भ्रम में डालती हैं।

 

धनी का अर्थ यहाँ परमात्मा से है, जो सब कुछ प्रदान करने वाले हैं। यदि व्यक्ति सच्चे हृदय से ईश्वर को प्राप्त करने की चेष्टा करे, तो उसे हर चीज़ की प्राप्ति संभव हो सकती है।

 

यह दोहा हमें सिखाता है कि बाहरी दिखावे और भौतिक इच्छाओं के पीछे भागने से कोई लाभ नहीं है। सच्ची शांति और वास्तविक ईश्वर-भक्ति अपने भीतर देखने से मिलती है। व्यवहारिक रूप से, हमें जीवन में संतुलन बनाए रखना चाहिए; धार्मिक रूप से, हमें ईश्वर को बाहरी दुनिया में खोजने के बजाय अपने अंतर्मन में देखना चाहिए; और सामाजिक रूप से, हमें दिखावे से दूर रहकर सच्चे सदाचार और मानवता के मार्ग पर चलना चाहिए।

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