इस भीषण गर्मी में आप अपने घर की छत पर जल का सकोरा जरूर रखें। साथ ही उनके खाने को कुछ दाने।डाक विभाग द्वारा पशु-पक्षी संरक्षण और हमें जागरूक करने के लिए कई सुंदर डाक टिकट जारी किए हैं।पढ़िए इंदौर से ओम पाटोदी की खबर…
इंदौर। विश्व गौरैया दिवस मनाने की सार्थकता जब ही है, जब हम भारतीय संस्कृति के मूलभूत आध्यात्मिक और सामाजिक चिंतन को प्राथमिकता से अंगीकार करें। आदि तीर्थंकर भगवान श्री आदिनाथ से लेकर भगवान श्री राम, कृष्ण, महावीर स्वामी, गौतम बुद्ध, गुरु नानक के सब जीवों के प्रति दया करूणा प्रेम के सार्वभौमिक सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म को अपने दैनिक जीवन में अनुसरण करेंगे अन्यथा यह सिर्फ एक औपचारिकता ही रह जाएंगी। वर्द्धमानपुर शोध संस्थान के संयोजक, विश्व जैन संगठन के महामंत्री एवं डाक टिकट संग्राहक ओम पाटोदी ने बताया कि वर्ष 2010 से विश्व गौरैया दिवस मनाया जा रहा है। पिछले वर्ष हमने “गौरैया: उन्हें एक चहचहाने का मौका दें।” की थीम के साथ अपील करते हुए विश्व गौरैया दिवस मनाया था और अब ‘प्रकृति के नन्हे दूतों को श्रद्धांजलि’ जैसी थीम के साथ इसे मनाने की नौबत आन पड़ी। यदि हम ईमानदारी के साथ पशु-पक्षियों और प्रकृति के संरक्षण का क़दम उठाना चाहते हैं तो पूरे विश्व को भारतीय संस्कृति के मूलभूत सिद्धांत के साथ कीटनाशकों का प्रयोग कम करते हुए गौरेया की घटती आबादी की ओर जन-जन कि ध्यान आकर्षित करने का सच्चा प्रयास करना होगा।
सुरक्षा पर जागरूकता अभियान चलाएं
वहीं जनता और जन नायक सामाजिक संगठनों को इनके संरक्षण के लिए प्रेरित करें, घोंसला बनाने के नैसर्गिक स्थान पेड़ों का संरक्षण के प्रति जागरूकता लाएं, मोबाइल टावरों को कम करने का कोई विकल्प ढूंढें वहीं पर्यावरण संतुलन बनाए रखने और पक्षियों की सुरक्षा पर जागरूकता अभियान चलाने का प्रयास हो और सरकारें भी विकास के नाम पर जो अंधाधुंध प्राकृतिक संसाधनों कि विनाश किया जा रहा है। उस पर रोक लगाने का सच्चा प्रयास करें।
दाना पानी रखने की जवाबदारी निभाएं
इस भीषण गर्मी में जन सामान्य अपने घरों की छतों मुंडेर पर पक्षीयों के लिए दाना पानी रखने की जवाबदारी को निभाएं। पाटोदी ने बताया कि भारतीय डाक विभाग द्वारा भी समय-समय पर जन जीवन पर आने वाली विपत्तियों के खतरों के प्रति जागरूकता के लिए कई डाक टिकट जारी किए हैं। जो उनके संग्रहण में उपलब्ध है ऐसे ही दो सुंदर डाक टिकट 9 जुलाई 2010 को जारी किये गये जिसमें एक नर व मादा गौरैया को एक मिट्टी के घड़े पर बैठे हुए दर्शाया गया है, दूसरे सेट में कबूतरों का एक जोड़ा चित्रित है।
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