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आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी का संघ का मंगल आगमन : रामगंजमंडी में समाज ने की अगवानी की


आचार्य श्री प्रज्ञासागर महाराज का बुधवार की प्रातः बेला में नगर में मंगल आगमन हुआ। उन्होंने संघ सहित मोड़क गांव से रामगंजमंडी विहार किया। मंगल विहार में नगर के कई भक्त सम्मिलित रहे। खैराबाद आगमन पर खैराबाद समाज बंधुओं ने महाराज श्री का पद प्रक्षालन मंगल आरती कर अगवानी की। रामगंजमंडी से पढ़िए अभिषेक जैन लुहाड़िया की खबर…


रामगंजमंडी। आचार्य श्री प्रज्ञासागर महाराज का बुधवार की प्रातः बेला में नगर में मंगल आगमन हुआ। आचार्य श्री ने संघ सहित मोड़क गांव से रामगंजमंडी की ओर विहार किया। महाराज श्री के मंगल विहार में नगर के कई भक्त सम्मिलित रहे। विहार के दौरान खैराबाद आगमन पर खैराबाद समाज बंधुओं ने महाराज श्री का पद प्रक्षालन मंगल आरती कर अगवानी की। नगर की सीमा पर पहुंचने पर समाज बंधुओं ने आचार्य श्री की भव्य अगवानी की। उन्हें नगर की सीमा पर स्थित खैराबाद फाटक से ढोल नगाड़ों और बैंडबाजा के साथ नगर में मंगल प्रवेश कराया। जय जयकार करते हुए समाजजन और भक्त काफी हर्षित थे। खैराबाद फाटक से थाना चौराहे होते हुए महाराज श्री संघ श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर पहुंचे। जहां महावीर मंदिर समिति द्वारा महाराज श्री का पद प्रक्षालन मंगल आरती कर अगवानी की।

पाद प्रक्षालन कर अगवानी की

महाराज श्री ने महावीर दिगंबर जैन मंदिर के भी दर्शन किए। जगह-जगह गुरुदेव की मंगल आरती की गई एवं पाद प्रक्षालन कर अगवानी की गई। महाराज श्री को शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर लाया गया। जहां मंदिर के प्रवेश द्वार पर महाराज श्री का पाद प्रक्षालन मंगल आरती कर अगवानी की। इसके बाद आचार्य श्री ने भगवान श्री शांतिनाथ भगवान के दर्शन किए। उनके सानिध्य में भगवान का अभिषेक एवं शांति धारा की गई। इसके बाद धर्मसभा प्रारंभ हुई।

धर्म सभा के प्रारंभ में अनिता जैन ने मंगलाचरण की प्रस्तुति दी। बाहर पधारे हुए धर्म प्रेमी बंधुओं का समाज की ओर से दुपट्टा माला पहनाकर स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर सकल दिगंबर जैन समाज की ओर से संरक्षक अजीत कुमार सेठी, अध्यक्ष दिलीप कुमार विनायका, उपाध्यक्ष चेतन बागड़िया, उपाध्यक्ष कमल जैन, महामंत्री राजकुमार गंगवाल एवं उपस्थित समाज बंधुओं द्वारा आचार्य श्री से कुछ दिन और प्रवास का निवेदन किया गया। धर्म सभा का संचालन महामंत्री राजकुमार गंगवाल ने किया।

सुख तो विनयवान को मिलता है

इस अवसर पर आचार्य श्री ने अपने मंगल प्रवचन में विनय के ऊपर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह विचार करना आवश्यक है कि सुख किसकी झोली में आएगा। सुख का हकदार कौन है। उन्होंने कहा कि सुख उसे नहीं मिलता। जिसके अंदर विनय भाव नहीं है और जो झुक कर नहीं अकड़ कर चलता है। हाथ जोड़कर नहीं बांधकर चलता है, जो जिंदा दिली से नहीं मुट्ठी बांधकर जीता है और जो ऐसा करते हैं उन्हें सुख संपदा की प्राप्ति नहीं होती है। सुख तो विनयवान को ही मिलेगा।

जीवन में विनम्रता होनी चाहिए

वर्तमान परिपेक्ष्य पर चिंता करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि आजकल के लोगों को सिखाया जा रहा है कि झुकना नहीं विनय मोक्ष का द्वार है। हम उस संस्कृति में जीने वाले लोग हैं। झुकती है दुनिया झुकाने वाला चाहिए। बड़ों के सामने झुकना हमें बचपन से सिखाया जाता है हम उस संस्कृति के लोग हैं। जहां कदम-कदम पर ढोक लगाना सिखाया जाता है। जीवन में विनम्रता होनी चाहिए। योग्यता विनयवान होने से ज्यादा मिलती है। सेवावान विनयवान सभी को प्रिय होता है। और उससे ही लोग ज्यादा प्यार करते हैं। विनय हमारे भीतर होना चाहिए। विनयवान बनने से ही सुख मिलता है। आचार्य श्री ने कहा कि घर परिवार में सुख कम हो रहा है इसका कारण है कि विनय में कमी आ रही है। प्रारंभ कर दो विनय देना सम्मान देना।

छोटों को प्यार से समझाना

महाराज श्री ने समाज से कहा कि बड़ों का काम होता है, छोटों को आगे बढ़ाना और छोटों का काम होता है बड़ों को सम्मान देना। पहले छोटे बच्चे बड़ों के सामने आवाज भी नहीं कर पाते थे। मैं आप सभी से कहना चाहता हूं कि विनय भाव में कमी मत होने देना। यदि आपको गुस्सा आए तो मौन रह लेना लेकिन, बड़ों की बात नहीं काटूंगा। एकदम से बड़ों की बातों को नहीं काटना चाहिए। मैं छोटों से कहूंगा कि बड़ों की बात को कभी काटना नहीं। बड़ों से कहूंगा कि छोटों को डांटना नहीं उन्हें प्यार से समझाना। आचार्य श्री की मंगल आहारचर्या एवं चरण वंदना का लाभ राजमल पदमकुमार लुहाड़िया परिवार को प्राप्त हुआ

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