समाचार

आठवें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु का गर्भ कल्याणक 19 मार्च को: तिथि के अनुसार चैत्र कृष्ण पंचमी के दिन आता है मोक्ष कल्याणक इस बार 6 मार्च को।


 आठवें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु जी का गर्भ कल्याणक इस बार 19 मार्च बुधवार को आ रहा है। भगवान चंद्रप्रभु ने चैत्र कृष्ण पंचमी के दिन गर्भ में स्थान प्राप्त किया था। भगवान के गर्भ कल्याणक पर दिगंबर जैन समाज के विभिन्न मंदिरों, चैत्यालयों में श्रद्धा और भक्ति के साथ विधान होंगे। श्रीफल जैन न्यूज की विशेष प्रस्तुति में उप संपादक प्रीतम लखवाल की ओर से यह संकलित जानकारी पढ़िए…


इंदौर। जैनधर्म के आठवें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु का गर्भ कल्याणक 19 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन देशभर के प्रसिद्ध जैन मंदिरों में विभिन्न विधान और शांतिधारा आदि के महोत्सव आयोजित किए जाएंगे। भगवान श्री चंद्रप्रभु जी के गर्भ और जन्म कल्याणक के बारे में पुराणों में वर्णित है कि जब इनकी 6 महीने की आयु बाकी रह गई। तब जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में चंद्रपुर नगर के महासेन राजा की लक्ष्मणा महादेवी के यहां रत्नों की वर्षा होने लगी। चैत्र कृष्ण पंचमी के दिन गर्भ कल्याणक महोत्सव हुआ एवं पौष कृष्ण एकादशी के दिन भगवान चंद्रप्रभ का जन्म हुआ। तीन माह का छद्मस्थ काल व्यतीत कर भगवान ने दीक्षा वन में नाग वृक्ष के नीचे फाल्गुन कृष्ण सप्तमी के दिन केवल ज्ञान प्राप्त किया। चंद्रप्रभु भगवान सभी देशों में विहार कर धर्म की प्रवृत्ति करते हुए सम्मेदशिखर पर पहुंचे।

एक माह तक प्रतिमा योग से स्थित होकर फाल्गुन कृष्ण सप्तमी के दिन ज्येष्ठा नक्षत्र में शाम के समय शुक्ल ध्यान द्वारा सर्वकर्म को नष्ट कर सिद्धपद को प्राप्त हुए। भगवान चंद्रप्रभु के तप कल्याणक के बारे में वर्णित है कि किसी समय दर्पण में अपना मुख देख रहे थे कि भोगों से विरक्त होकर देवों द्वारा लाई गई ‘विमला’ नाम की पालकी पर बैठकर सर्वर्तुक वन में गए। वहां पौष कृष्ण एकादशी के दिन हजार राजाओं के साथ दीक्षा ली।

आप को यह कंटेंट कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
+1
1
+1
0
+1
0
× श्रीफल ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें