होली के त्योहार को अब चार दिन ही शेष है। सभी ओर उल्लास का माहौल है। होली पर रंगों से उत्सव मनाने की परंपरा है। रंगों में मिलावट के चलते और बेतहाशा केमिकल्स का उपयोग किए जाने से यह त्वचा और आंखों के लिए हानिकारक ही होते हैं। डॉक्टर भी ऐसे रंगों से बचने और हर्बल रंगों का उपयोग करने की सलाह देते हैं। जैन समाज के बच्चों और युवाओं ने इन्हीं हर्बल रंगों की तरफदारी करते हुए संकल्प लिया कि वे केमिकल युक्त रंगों का उपयोग नहीं करेंगे। ललितपुर से पढ़िए यह खबर…
ललितपुर। होली का पर्व भाईचारे का संदेश लेकर आता है। होली रंगों का त्योहार है। प्राकृतिक रंग हमें मधुरता का संदेश देते हैं। रासायनिक रंगों से होली खेलने पर शरीर में नुकसान हो जाने पर कभी-कभी लंबे समय तक इलाज कराना पड़ सकता है।
कुछ लोगों की त्वचा पर जिंदगी भर के लिए दाग बन जाते हैं। इसलिए होली का आनंद लेना हो तो हर्बल रंग बरसाएं। इससे तन-मन दोनों महक उठेगा। बच्चों ने कहा कि प्राकृतिक रंगों से होली खेलें तो तन और मन दोनों महक उठेंगे।
हर्बल रंग सबसे अच्छे: रौनक
छात्रा रौनक का कहना है कि हर्बल रंग महंगे जरूर मिलते हैं लेकिन, इनके फायदे भी अनेक हैं। इन प्राकृतिक रंगों से त्वचा मुलायम बनी रहेगी और सौंदर्य में भी निखार आता है। प्राकृतिक रंगों में चंदन, गेंदा, टेसू, गुलाब और अन्य तमाम फूलों की खुशबू भी आएगी।
इन फूलों से ही हर्बल रंग तैयार किए जाते हैं। फूलों से बने रंग जिस पर पड़ेगा, वह आनंदित हो उठेगा। उसको मनमोहक खुशबू का एहसास भी होगा।
प्राकृतिक रंग मधुरता का देते संदेश: देवांश
देवांश जैन का कहना है कि हर्बल रंग से भीगने पर शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। होली खेलने के बाद इन रंगों को साफ करने में कोई मशक्कत भी नहीं करनी पड़ती, बस एक बार साबुन या शैंपू लगाया और रंग साफ हो जाता है। रासायनिक रंगों से अच्छा है कि प्राकृतिक रंगों से होली खेलें।
मैं तो फूलों से रंग बनाकर खेलूंगी होली: अनुष्का
अनुष्का सोनी का कहना है कि मुझे तो पीले रंग से खेलने का अनूठा आनंद ही मिलता है। मैं तो हर्बल रंग बनाने के लिए बेसन में हल्दी पाउडर मिलाकर गेंदे और बबूल के पीले फूलों को मिलाकर पीसकर पाउडर से ही अपने पड़ोसी मित्रों के साथ पर्व को शानदार तरीके से मनाऊंगा।
प्राकृतिक रंग शरीर को नुकासान नहीं पहुंचाते: दीप्ति
दीप्ति सोनी का मानना है कि प्राकृतिक रंग से त्वचा मुलायम हो जाती है। इन रंगों के जरिए विभिन्न फूलों और वनस्पतियों का तेल भी त्वचा को मिलता है, जो कि त्वचा के लिए बहुत ही लाभदायक है।
रासायनिक रंग से भीगना कभी-कभी इतना महंगा पड़ जाता है कि जिंदगी भर पछताना पड़ता है। मन भी दुःखी हो जाता है। इसलिए प्राकृतिक रंगों से होली खेलिए, इससे तन और मन दोनों महक उठेगा।
प्राकृतिक रंगों से नहीं होते नुकसानदेह: प्रियांश
प्रियांश कुशवाहा का कहना है कि कुछ वर्ष पूर्व होली के लिए प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग होता था। जिससे त्वचा को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता था।
वर्तमान समय में बाजार में उपलब्ध रंगों में भारी मिलावट होती है। ऐसे में इनका कम से कम प्रयोग करें। हो सके तो खुद ही प्राकृतिक रंग बनाएं। रंग खरीदने से पहले यह देख लें कि रंग दानेदार और खुरदुरा होने के बजाय पाउडर नुमा हो।
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