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अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज का रहा सानिध्य : दिगंबर जैन मंदिर बड़वाह में भक्तामर महामंडल विधान का आयोजन


रविवार को बड़वाह के दिगंबर जैन मंदिर में अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज के सानिध्य में भक्तामर महामंडल विधान का आयोजन किया गया। इस विधान में 48 अर्घ्य चढ़ाए गए, जिसमें समाज के विभिन्न सदस्य शामिल हुए। मुनिश्री ने प्रवचन में भक्तामर स्तोत्र के लाभ और विधि की शुद्धता पर प्रकाश डाला पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट…


बड़वाह। अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज के सानिध्य में दिगंबर जैन मंदिर, बड़वाह में रविवार को समाज द्वारा भक्तामर महामंडल विधान का आयोजन किया गया। समाज अध्यक्ष अशोक जैन ने बताया कि 48 अर्घ्य वाला भक्तामर महामंडल विधान में सौधर्म इन्द्र मास्टर सिद्धम जैन, चित्रा जैन, डॉ. राज, शैल अशोक जैन, चिंताबाई जैन, ईशान इन्द्र मीता ऋषभ जैन, यज्ञनायक डॉ. आयुष जैन, वृषाली जैन और मोहना परिवार ने मिलकर मंडप पर अर्घ्य चढ़ाए।

मंडप पर मांगलिक कलश अनिता-अनिल जैन परिवार और चतुर्कलश रश्मि- विनोद जैन, मनीषा -संजय जैन, पूर्णिमा -संजय जैन, स्वस्तिक -सुधीर जैन, संगीता- संजय जैन, अनिता -शैलेंद्र जैन, जयश्री -जयंत जैन, प्रियंका -संदीप जैन और रश्मिता -कमल जैन ने विराजमान किए। इससे पहले भगवान की शांतिधारा करने का सौभाग्य करिश्मा अनिल जैन और मीता ऋषभ जैन परिवार को प्राप्त हुआ।

होता है दुखों का नाश

मुनिश्री ने प्रवचन में कहा कि भक्तामर स्तोत्र एक ऐसा स्तोत्र है जिसका पूरे भारत में प्रतिदिन लाखों बार पाठ होता है। मन, वचन, और काय की शुद्धि पूर्वक विधान करने से शारीरिक, मानसिक और आगंतुक दुखों का नाश होता है। सकलीकरण, मंडप शुद्धि, इन्द्र प्रतिष्ठा आदि विधि विधान का कार्य पंडित वैभव जैन द्वारा किया गया। इस विधान में समाजजनों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।

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