आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने नगर के निवासी भंवरलाल सरिया (76 वर्ष) को जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान की और ऐलक श्री हर्ष सागर महाराज नामकरण किया। इस अवसर पर खूंता, मुंगाणा, पारसोला, प्रतापगढ़, कूण, भींडर, उदयपुर, नरवाली, घाटोल, खमेरा, बांसवाड़ा, मंदसौर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। पढ़िए धरियावद से अशोक कुमार जेतावत की यह खबर…
धरियावद। आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने अपने सिद्ध हस्त कर कमलों से नगर के निवासी भंवरलाल सरिया (76 वर्ष) को जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान कर ऐलक श्री हर्ष सागर महाराज नामकरण किया। सुबह दीक्षार्थी को मंगल स्नान, केशलोच के बाद सवा 11 बजे से श्री चंद्रप्रभ दिगंबर जैन मंदिर परिसर में आयोजित विशाल धर्मसभा में जैनेश्वरी ऐलक दीक्षा के संस्कार पूर्ण हुए। धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि सांसारिक प्राणी संसार में सुख की खोज करते हैं, लेकिन, सुख कहीं नजर नहीं आता है। भंवरलालजी इस संसार के भंवर से निकलकर शाश्वत सुख के मार्ग पर अग्रसर हो रहे हैं। संसार को समुद्र कहा जाता है लेकिन, संसार में समुद्र जैसा पानी नहीं दिखाई देता मगर यह महावन जरूर है।
संसार रूपी वन से निकलने का उपाय जैनेश्वरी दीक्षा
आचार्यश्री ने कहा कि जिस प्रकार किसी महावन में कोई प्राणी मार्ग भटक जाए तो बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। इस संसार रूपी वन से निकलने का एक ही उपाय है। वह है जैनेश्वरी दीक्षा। अष्टान्हिका पर्व के तीसरे दिन रविवार को अनंता-अनंत सिद्धों की आराधना करते हुए शाश्वत सुख की प्राप्ति के लिए संसार के दलदल से निकलकर संसारी प्राणी संसार के दलदल में फंसे हैं तो निकलने का प्रयत्न एवं पुरुषार्थ अवश्य करें। यह पुरुषार्थ गुरुओं का सानिध्य प्राप्त करके सम्यक दर्शन, ज्ञान, चारित्र धारण करके रत्नत्रय रूपी धर्म को प्राप्त करने का पुरुषार्थ किया जाता है।
इन्होंने प्राप्त किया दीक्षा में सौभाग्य
इसके पूर्व दीक्षार्थी ने आचार्य श्री को जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान करने का निवेदन किया। आचार्य श्री ने परिवार, समाज, मुनि-आर्यिका संघ सहित सभी से अनुमति प्राप्त कर दीक्षा के संस्कार प्रारंभ किए। धर्म सभा में आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के पाद प्रक्षालन का लाभ राजेंद्र चंपावत परिवार, जिनवाणी भेंट रमेश कुमार प्रकाशचंद्र दोषी परिवार, दीक्षार्थी के धर्म के माता-पिता बनने का सौभाग्य गृहस्थ पुत्र-पुत्रवधु गजेंद्र-कैलाश देवी सरिया ने प्राप्त किया।नवदीक्षित ऐलक हर्ष सागर महाराज को पिच्छी भेंट करने का सौभाग्य पारसमल, विनय, शैलेष दोषी परिवार को मिला। कमंडल भेंट करने का सौभाग्य ललित जैन (ओगणा) को मिला और समस्त सरिया परिवार धरियावद ने शास्त्र भेंट किया। केशलोच झेलने और नवीन वस्त्र प्रदान करने का सौभाग्य इंद्रमल मामा परिवार प्रतापगढ़ को मिला।
सभा स्थल पर गूंजे जयकारे
धर्मसभा में धरियावद निवासी रमेश कुमार पिता वालचंद दोषी ने आचार्य श्री को श्रीफल भेंट कर जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान करने के लिए निवेदन किया। सभास्थल आचार्य श्री और जैन धर्म के जयकारों से गूंज उठा। इस अवसर पर खूंता, मुंगाणा, पारसोला, प्रतापगढ़, कूण, भींडर, उदयपुर, नरवाली, घाटोल, खमेरा, बांसवाड़ा, मंदसौर समेत देश-प्रदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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