समाचार

अपने दैनिक जीवन में धर्म ध्यान का आचरण करें: मुनिश्री ससंघ ने कुचामन किले का किया अवलोकन


मुनि श्री प्रणम्य सागरजी महाराज ने कुचामनसिटी में श्रावकों के आग्रह पर संघ सहित ऐतिहासिक किले का अवलोकन किया। उन्होंने यहां पर सभी जैन समाज के श्रावकों को अर्हंध्यान योग का अभ्यास भी कराया। नागौरी मंदिर परिसर में संत निवास में प्रवचन हुए। यहां आचार्यश्री विद्यासागरजी के चित्र का अनावरण किया गया। पढ़िए कुचामन सिटी से सुभाष पहाड़िया की यह खबर…


कुचामनसिटी। आचार्यश्री विद्यासागरजी के शिष्य मुनि श्री प्रणम्य सागरजी महाराज, मुनि श्री विश्वाक्ष सागर जी महाराज एवं क्षुल्लक श्री अनुनय सागर के ससंघ के सानिध्य में नागौरी मंदिर में कलशाभिषेक शांतिधारा के बाद श्रावकों के आग्रह पर संघ सहित कुचामन किले का अवलोकन किया। मुनि श्री ने बताया कि वैसे तो किले सब जगह देखे, लेकिन कुचामन किले में कुछ विशिष्ट विशेषताएं देखने कोे मिली। महाराज श्री ने किले पर उपस्थित सर्वजन को अर्हंध्यान योग का अभ्यास कराया।

इन्होंने अर्जित किया सौभाग्य
अध्यक्ष विनोद झांझरी ने बताया कि नागौरी मंदिर परिसर में स्थित चिन्मय संत निवास में महाराज श्री के प्रवचन से पूर्व आचार्यश्री का चित्र अनावरण करने, दीप प्रज्वलन करने एवं महाराज श्री को जिनवाणी भेंट करने का सौभाग्य श्राविका सुशीला पाटनी परिवार (आरके मार्बल) को मिला और मुनि श्री के पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य संतोषकुमार, प्रवीणकुमार, विपिनकुमार पहाड़िया परिवार को मिला।

भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर ही हमारे देश का नाम
मुनि श्री ने अपने प्रवचन में बताया कि भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर ही हमारे देश का नाम भारत पड़ा, जिस पर सभी भरतवासियो को गर्व होना चाहिए। राजा-रजवाड़े जिस प्रकार अपने राज्य की सुरक्षा के लिए परकोटेे बनातेे थे। उसी तरह सर्वजन को अपने दैनिक जीवन में धर्म ध्यान का आचरण करना चाहिए। सकल दिगंबर जैन समाज सीकर, मकराना, पांचवां, कुकनवाली के श्रावकों ने मुनिश्री को श्रीफल भेंट किया। साथ ही कुचामन जैन समाज की सभी धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं ने महाराजश्री को कुछ दिन के प्रवास के लिए श्रीफल भेंट किया। पूर्व संध्या पर मुनिश्री एवं प्रतिष्ठाचार्य शुभम भैया और पंडित अजय शास्त्री ने वर्धमान स्तोत्र पाठ की आरती 64 दीपों से करवाई। इसमें सभी श्रावक-श्राविकाओं ने भक्तिभाव से सहभागिता की। मंच संचालन प्रतिष्ठाचार्य शुभम भैयाजी और अशोक झांझरी ने किया।

आप को यह कंटेंट कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
+1
0
+1
0
+1
0
× श्रीफल ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें