खुशी को खोजने के लिए बाहरी सुख-सुविधाओं की उपलब्धि का प्रयास एक हद तक ही काम करता है पूर्णतः नहीं। हममें से हर एक के पास सब कुछ है। जो लोग कुछ को ही सब कुछ समझकर आनन्द से भर जाते हैं वे ही सब कुछ पाते हैं। मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की पुस्तक खोजो मत पाओ व अन्य ग्रंथों के माध्यम से श्रीफल जैन न्यूज का कॉलम Life Management निरंतरता लिए हुए है। पढ़िए इसके 20वें भाग में श्रीफल जैन न्यूज के रिपोर्टर संजय एम तराणेकर की विशेष रिपोर्ट….
खोजो मत पाओ
खोजने में समय खो जाता है और पाने में सब कुछ समय से पा लेते हैं। लोग खुशी खोजते हैं किन्तु वास्तविकता यह है कि खुशी खोजने की नहीं पाने की चीज है। आपके पास जो है आप उसी का आनन्द लो, खुश रहोगे। खुशी भीतर है। खुशी खुश होने के अहसास में सदैव अपने पास है। खुशी केवल एक मानसिकता है।
कभी-कभी ऐसे लोग भी मिलते हैं कि वे कहते हैं-‘मेरे पिछले कई वर्ष परेशानी से गुजरे हैं। मेरे पिछले कई सालों में मुझे ऐसा कुछ नहीं मिला जो मेरे लिए उपलब्धि हो। मुझे पिछले कई वर्षों से किसी काम में कोई सफलता नहीं मिली है।‘ ऐसे विचार सर्वथा गलत है। प्रकृति के नियमानुसार ऐसा कभी-भी किसी के साथ नहीं होता है। उपलब्धि कुछ नया पाने का नाम नहीं किन्तु अपना अनुभव ही सबसे बड़ी उपलब्धि है। जिस अनुभव से आप इस दुनिया को आज देख रहे हैं, वैसी ही दुनिया आप पहले नहीं देखते थे। छल-कपट, प्रेम, ईर्ष्या, अपनों का बिछोह, बनते-बनते बात का बिगड़ जाना ये सब ऐसे अनुभव है जो आपकी अपनी उपलब्धि हैं। हाँ इतना अवश्य है इनमें जो कुछ भी बुरा है उसे आप याद न करें। कड़वे अनुभव, कटु बातें, दुखद प्रसंग को आप किसी से शेयर (Share) भी नहीं करें। क्योंकि ऐसा करके भी आप अपने दुख को बढ़ा लेते हैं।
बड़ी उपलब्धियाँ वही व्यक्ति पा सकता है जो अपनी छोटी सी शुरुआत से स्वयं सन्तुष्ट हो।
विचार करें कि आज हम दुनिया को जैसी देख रहे हैं, दुनिया वास्तव में ऐसी ही है। हमने सोचा कि दुनिया में लोग अच्छे हैं, किसी को धोखा नहीं देते, किसी का दिल नहीं दुखाते परन्तु हमने कुछ और ही पाया। अब जैसा पाया उसे उसी रूप में सच मानो। आगे बढ़ो। इस अनुभव से आगे धोखा नहीं खाने का विचार करो। ध्यान रखो कि-
जब कोई हमें पहली बार धोखा देता है तो उसे शर्म आनी चाहिए और जब कोर्ड तुम्हें दूसरी बार धोखा दे तो तुम्हें शर्म आनी चाहिए।
सफल व्यक्ति अपने अनुभव स्वयं बढ़ाता है
मन में ऐसी तस्वीर बनाओ कि तुमने कुछ खोया नहीं पाया है। मुझे पाना है ऐसे संकल्प से पहले ही ऐसा महसूस करो कि मानो वह चीज तुमने पा ली है। तुम्हारी सफलता दूसरों की नहीं अपनी है। अक्सर लोग दूसरों की सफलता देखकर अपने को असफल समझ लेते हैं। मेरे साथ का नौकर, मेरा करीबों दोस्त, मेरा गरीब पड़ोसी, मेरा निकट का सहपाठी मुझसे बहुत आगे बढ़ गया। सफल हो गया। आज वह इतना कमा रहा है। उसके पास इतनी अधिक प्रापर्टी है, कार है, इत्यादि ख्यालात ही हमारी असफलता महसूस कराते हैं। तुम यह याद रखो कि तुम भी किसी से आगे हो। तुम्हारे साथ के कई लोग तुमसे पहले किसी दुर्घटना में या किसी रोग से मर गए। तुम आज भी जिन्दा हो तुम्हारे लिए यही सबसे बड़ी सफलता है। सफल व्यक्ति अपने अनुभव स्वयं बढ़ाता है। सफल व्यक्ति अपने रिकॉर्ड खुद तोड़ता है। ध्यान रखे
एक धावक चाहे वह आखिर में ही क्यों न पहुँचे अगर वह अपना ही रिकॉर्ड तोड़ता है तो वह सफल होता है।
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